सीतापुर में खेत में घास काट रहे किसान पर बाघ का हमला, गर्दन पकड़कर घसीटा, मौत; गांव में दहशत, मुआवजे की मांग
खेत में घास काटते किसान पर बाघ का हमला
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाली घटना हुई जब खेत में घास काट रहे किसान पर अचानक बाघ ने हमला कर दिया। मृतक किसान की पहचान 50 वर्षीय राकेश कुमार के रूप में हुई है, जो महोली इलाके के बसारा गांव के रहने वाले थे। घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है।
हमले का पूरा घटनाक्रम
जानकारी के मुताबिक राकेश कुमार खेत में अकेले घास काट रहे थे। इसी दौरान झाड़ियों से निकलकर बाघ ने उन पर हमला किया। बाघ ने किसान की गर्दन पकड़ ली और करीब 20 मीटर तक उन्हें घसीटते हुए खेत के बीच पानी की ओर ले गया। जब आसपास के लोगों ने शोर मचाया तो बाघ भाग खड़ा हुआ, लेकिन तब तक किसान गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। ग्रामीणों की मदद से उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इससे पहले भी हो चुके हैं हमले
इस इलाके में बाघ के हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले 22 अगस्त को भी महोली इलाके के नरनी गांव में बाघ ने एक किसान पर हमला किया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। अब महज 12 किलोमीटर दूर बसारा गांव में एक और किसान की जान जाने से लोगों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
गांव में दहशत और डर
लगातार हो रहे हमलों के कारण ग्रामीण अपने खेतों में काम करने से डर रहे हैं। कई लोग बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर चुके हैं। गांव में लोग अब ग्रुप बनाकर पहरेदारी करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही बाघ को पकड़ा नहीं गया तो किसी और की जान भी जा सकती है।
मृतक किसान का परिवार शोक में
राकेश कुमार के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। उनकी बेटी ने बताया कि पिता ने हमले के दौरान बहुत तड़पकर जान गंवाई और कोई भी उन्हें बचा नहीं पाया। वहीं, पत्नी ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि अगर बाघ को पकड़ा नहीं गया तो यह और लोगों को भी अपना शिकार बना सकता है।
मुआवजे की मांग पर हंगामा
घटना के बाद ग्रामीणों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने से इनकार कर दिया और मुआवजे की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। करीब आधे घंटे तक हंगामा चलता रहा। ग्रामीणों का कहना था कि प्रशासन बाघ को पकड़ने की ठोस कार्रवाई करे और मृतक परिवार को तुरंत मुआवजा दिया जाए। बाद में पुलिस और प्रशासन ने समझा-बुझाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
बाघ की तलाश में एक्सपर्ट टीमें
घटना के बाद दुधवा नेशनल पार्क की एक्सपर्ट टीम, डब्ल्यूटीआई (वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया) और वन विभाग की टीमें बाघ को पकड़ने के लिए जुट गई हैं। इलाके में 20 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं और निगरानी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघ को जल्द से जल्द ट्रैक कर पकड़ लिया जाएगा ताकि और किसी की जान खतरे में न पड़े।
बाघ-मानव संघर्ष की बड़ी चुनौती
सीतापुर और आसपास के इलाकों में बाघों की मौजूदगी लंबे समय से चिंता का विषय रही है। जंगलों के सिमटने और इंसानी बस्तियों के बढ़ने से बाघ और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बाघ अक्सर शिकार की तलाश में जंगल से निकलकर गांवों की ओर चले आते हैं। यही वजह है कि किसानों, पशुपालकों और ग्रामीणों की सुरक्षा लगातार खतरे में रहती है।
ग्रामीणों की अपील
गांव के लोगों ने प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने और बाघ को पकड़ने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक बाघ को सुरक्षित स्थान पर नहीं भेजा जाता, तब तक वे खेतों में काम नहीं करेंगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं मिली तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।


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