ग्वालियर में SAF कॉन्स्टेबल अजय भदौरिया की नशा मुक्ति केंद्र में संदिग्ध मौत, परिजनों ने पिटाई से हत्या का आरोप लगाया।
ग्वालियर में नशा मुक्ति केंद्र पर गंभीर आरोप, पुलिस जवान की मौत से हड़कंप
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती SAF के कॉन्स्टेबल अजय भदौरिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने केंद्र संचालकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि अजय को बेरहमी से पीटा गया, जिसके कारण उनकी मौत हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए हैं, जिससे आरोप और मजबूत हो गए हैं।
भर्ती के 24 घंटे बाद हुई मौत, परिवार ने जताई हत्या की आशंका
जानकारी के मुताबिक, भिंड जिले के रहने वाले और मंदसौर में पदस्थापित SAF जवान अजय भदौरिया शराब की लत से जूझ रहे थे। इसी लत को छुड़ाने के लिए परिवार ने उन्हें 23 जुलाई को बिजौली थाना क्षेत्र स्थित मंथन नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया। लेकिन भर्ती के मात्र 24 घंटे बाद ही 24 जुलाई को उनकी मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि नशा मुक्ति केंद्र में अजय को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला सच, पूरे शरीर पर चोट के निशान
पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अजय का पोस्टमार्टम कराया गया। रिपोर्ट में साफ हुआ कि उनके पूरे शरीर पर चोट के गहरे निशान हैं। इससे साफ है कि उनकी मौत केवल प्राकृतिक नहीं थी, बल्कि पिटाई का मामला सामने आता है। परिवार का कहना है कि केंद्र के संचालक शव का पोस्टमार्टम कराने से बच रहे थे और मामले को दबाने की कोशिश कर रहे थे।
पुलिस और प्रशासन हरकत में, जांच टीम गठित
परिवार के आरोपों के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ग्वालियर कलेक्टर ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम गठित कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मृतक का करीब 10 दिन पहले एक्सीडेंट भी हुआ था, और संभव है कि कुछ चोटें उसी की हों। लेकिन परिजनों के आरोपों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिले साक्ष्यों के आधार पर जांच आगे बढ़ रही है।
नशा मुक्ति केंद्रों पर सवाल, पहले भी हो चुकी है मौत
यह पहली बार नहीं है जब ग्वालियर के नशा मुक्ति केंद्रों पर गंभीर आरोप लगे हैं। इससे पहले भी एक बैंक फील्ड ऑफिसर पंकज शर्मा की मौत इसी तरह की परिस्थितियों में हुई थी, जिनके शरीर पर भी चोट के निशान पाए गए थे। इन घटनाओं ने नशा मुक्ति केंद्रों की कार्यप्रणाली और वहां भर्ती किए गए मरीजों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
परिवार की मांग, हत्या का केस दर्ज हो
मृतक अजय भदौरिया के परिवार ने मांग की है कि मंथन नशा मुक्ति केंद्र के संचालक और उनके साथियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। परिवार का कहना है कि नशा छुड़ाने के नाम पर वहां लोगों को टॉर्चर किया जाता है और प्रशासन इस पर आंख मूंदे रहता है।
समाज और प्रशासन के लिए बड़ा सवाल
यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। नशा मुक्ति केंद्रों का उद्देश्य नशे की लत से लोगों को बाहर निकालना है, लेकिन अगर वहीं लोगों की जान पर खतरा बनने लगे, तो यह संस्थान मददगार के बजाय खौफ का ठिकाना बन जाते हैं। इस घटना ने प्रदेश में चल रहे ऐसे सभी केंद्रों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की मांग को और तेज कर दिया है।


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