धराली त्रासदी में गांव के सारे बुजुर्ग कैसे बचे? शिव मंदिर में चल रही पूजा ने बचाई जान! मलबे में अब भी दर्जनों लापता


धराली त्रासदी में जहां 6 की मौत, 150 लापता, वहीं गांव के सभी बुजुर्ग बच गए। जानिए पूजा के समय मंदिर में क्यों थे और कैसे बची जान।


तबाही के बाद बदली धराली की तस्वीर

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव अब एक दलदली और खामोश मैदान में तब्दील हो चुका है। मंगलवार की सुबह जब खीरगंगा से आया मलबा गांव पर टूटा, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह आपदा कितनी भारी होगी। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 150 से अधिक लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है।

क्यों बचे धराली गांव के सभी बुजुर्ग?

इस भयावह आपदा के बीच एक चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है—गांव का कोई भी बुजुर्ग इस त्रासदी की चपेट में नहीं आया। इसका कारण बना उनका 'संयोग' से समय पर मंदिर में होना। हादसे के वक्त लगभग सभी बुजुर्ग गांव के 300 मीटर दूर एक प्राचीन मंदिर में पूर्वजों की पूजा में शामिल थे। जब खतरनाक आवाज के साथ मलबा गांव की ओर आया, तब बुजुर्ग मंदिर में सुरक्षित थे, जिससे उनकी जान बच गई।

युवा, कारोबारी और पर्यटक आए चपेट में

धराली की इस तबाही में सबसे अधिक नुकसान गांव के युवा वर्ग, होटल कारोबारी और पर्यटकों को हुआ है। अधिकांश होटल और लॉज मलबे के नीचे दब गए हैं। कई पर्यटक जो गंगोत्री धाम की यात्रा पर थे, वे इस समय लापता हैं। गांव के स्थानीय लोग बताते हैं कि हादसे के वक्त कुछ लोग नाश्ता कर रहे थे तो कुछ लोग पूजा के बाद गांव लौट रहे थे, तभी अचानक पानी और मलबा सबकुछ बहाकर ले गया।

राहत और रेस्क्यू में जुटा प्रशासन

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति पर नजर रखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को तेज़ करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पीड़ितों को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया है। अब तक 400 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। राहत कार्य में हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है।

बरामद हुए दो और शव

गुरुवार सुबह रेस्क्यू के दौरान दो और शव बरामद किए गए हैं। इनमें से एक की पहचान 32 वर्षीय आकाश पंवार के रूप में हुई है। अन्य की पहचान के प्रयास जारी हैं। परिजन अब भी मलबे के आसपास अपने प्रियजनों की तलाश में डटे हुए हैं।

30 से 50 फीट तक जमा हुआ मलबा

धराली गांव के चारों ओर इतना मलबा भर गया है कि जमीन की ऊंचाई 30 से 50 फीट तक बढ़ गई है। कुछ इलाकों में घरों की छतें ही दिखाई दे रही हैं। सेना और SDRF की टीमों को गीली मिट्टी और पानी से बने दलदल से होकर गुजरना पड़ रहा है। दलदल में फंसने से बचने के लिए टिन की चादरें बिछाकर रास्ता बनाया गया है।

SDRF की टीम बनी ‘साहस की मिसाल’

SDRF की टीम लगभग 10 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता तय कर धराली गांव पहुंची। मौसम खराब होने के बावजूद उन्होंने न रुकने का फैसला किया। लैंडस्लाइड और भारी बारिश के बीच भी टीम ने लगातार मलबा हटाकर कई लोगों की जान बचाई है।

आर्मी और स्पेशल पारा फोर्स की तैनाती

उत्तरकाशी के भटवाड़ी हेलीपैड से दो हेलीकॉप्टरों द्वारा धराली गांव में राहत सामग्री और जरूरी बचाव उपकरण पहुंचाए गए हैं। इसके अलावा ITBP, NDRF और पुलिस की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं। सड़क मार्ग टूटने के कारण टीमों को हवा के रास्ते लाया जा रहा है। विशेष रूप से आगरा से एयरलिफ्ट की गई स्पेशल पारा फोर्स की यूनिट अब धराली में ऑपरेशन की कमान संभालने जा रही है।

मौसम ने भी डाला रुकावट

रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच मौसम ने कई बार बाधा उत्पन्न की। बारिश और ग्लेशियर के फटने से मलबा लगातार नीचे आता रहा, जिससे ऑपरेशन कई बार रोकना पड़ा। हालांकि गुरुवार सुबह मौसम कुछ साफ रहा, जिससे रेस्क्यू कार्य फिर से शुरू हो सका।

गंगोत्री यात्रा पर भी असर

धराली गांव गंगोत्री धाम के मार्ग पर एक प्रमुख पड़ाव है। इस आपदा के बाद गंगोत्री यात्रा भी प्रभावित हुई है। सड़कें बंद होने से तीर्थयात्रियों को वापस लौटना पड़ा। प्रशासन ने यात्रा को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है।

मलबे में अब भी सैकड़ों की तलाश

स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अभी भी कई दर्जनों लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि साफ मौसम और एक्सपर्ट रेस्क्यू टीमों की बदौलत और लोगों को बचाया जा सकता है। फिलहाल रेस्क्यू अभियान चौथे दिन भी जारी है और पूरे राज्य की निगाहें धराली पर टिकी हैं।

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