बीजेपी में बवाल; प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू 6 साल के लिए निष्कासित, सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ पर उठाए सवाल बने वजह?


बीजेपी ने राजस्थान प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को 6 साल के लिए निष्कासित किया, सत्यपाल मलिक व जगदीप धनखड़ पर टिप्पणी बनी वजह


बीजेपी ने प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को किया बाहर

भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई में एक बड़ा राजनीतिक धमाका तब हुआ जब पार्टी ने अपने राज्य प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को छह साल के लिए निष्कासित करने का आदेश जारी कर दिया. यह कार्रवाई पार्टी अनुशासन समिति की सिफारिश पर हुई, जिसमें यह साफ तौर पर कहा गया कि जानू ने अपने सार्वजनिक बयानों में पार्टी लाइन का उल्लंघन किया और वरिष्ठ नेताओं के प्रति अनुचित टिप्पणी की.

कृष्ण कुमार जानू पर आरोप है कि उन्होंने दिवंगत पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ बीजेपी सरकार के व्यवहार की खुलकर आलोचना की. इसके साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लेकर भी बयान दिए, जिसने पार्टी के अंदरूनी हलकों में नाराजगी पैदा कर दी.

अनुशासनात्मक कार्रवाई की पृष्ठभूमि

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह मामला जून 2025 में शुरू हुआ था जब कृष्ण कुमार जानू के कुछ बयानों ने चर्चा और विवाद दोनों पैदा कर दिए थे. भाजपा की राज्य अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि 20 जून को जानू को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले बयान क्यों दिए.

जानू को नोटिस का जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया गया, लेकिन समिति के अनुसार, उनका जवाब संतोषजनक नहीं था. उन्होंने अपने बयानों को सही ठहराने की कोशिश की, मगर पार्टी नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता माना और छह साल के लिए निष्कासन का निर्णय लिया.

विवादित बयान और राजनीतिक हलचल

जानू के विवादित बयानों में सबसे प्रमुख था उनका वह आरोप जिसमें उन्होंने कहा कि दिवंगत सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार के दौरान सरकार का रवैया ‘तिरस्कारपूर्ण’ था. उन्होंने दावा किया कि न तो इस मौके पर सरकार की ओर से उचित सम्मान दिया गया और न ही अंतिम विदाई के कार्यक्रम में वह गरिमा दिखाई दी जिसकी उम्मीद एक पूर्व राज्यपाल के लिए की जाती है.

इसी तरह, उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लेकर कहा कि उनके पद छोड़ने पर न तो कोई विदाई भाषण हुआ और न ही औपचारिक समारोह का आयोजन किया गया. खास बात यह थी कि दोनों नेता जाट समुदाय से आते हैं और जानू ने इसे समुदाय की उपेक्षा के रूप में पेश किया.

जाट नेताओं पर सीधा निशाना

जानू ने न केवल मुद्दा उठाया बल्कि बीजेपी के जाट नेताओं की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि जाट समुदाय हमेशा अपने सिद्धांतों और मूल्यों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस मामले में समुदाय के नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनका तर्क था कि यदि आज सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ जैसे बड़े नेताओं के साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है, तो भविष्य में अन्य नेताओं के साथ भी यही हो सकता है.

पार्टी में अनुशासन की अहमियत

बीजेपी हमेशा से अपने कठोर अनुशासन और आंतरिक व्यवस्था के लिए जानी जाती है. पार्टी की अनुशासन समिति का मानना है कि यदि किसी नेता को अपनी नाराजगी व्यक्त करनी है तो उसके लिए पार्टी के अंदर उपयुक्त मंच मौजूद हैं. सार्वजनिक रूप से बयान देकर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाना संगठनात्मक सिद्धांतों के खिलाफ है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के अंदर संदेश देने के लिए भी उठाया गया है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह प्रवक्ता ही क्यों न हो.

कृष्ण कुमार जानू की राजनीतिक पृष्ठभूमि

कृष्ण कुमार जानू लंबे समय से बीजेपी के साथ जुड़े रहे हैं और राजस्थान की राजनीति में उनकी सक्रिय उपस्थिति रही है. प्रवक्ता के रूप में वे मीडिया में पार्टी की नीतियों और विचारों का प्रतिनिधित्व करते थे. उनका जाट समुदाय में भी एक खासा प्रभाव माना जाता है.

हालांकि, इस विवाद के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. निष्कासन के बाद उनके अगले कदम को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. क्या वे किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होंगे या स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखेंगे, यह देखना बाकी है.

सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ का संदर्भ

सत्यपाल मलिक, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में राज्यपाल के रूप में कार्य किया, का हाल ही में निधन हुआ था. उनके अंतिम संस्कार में सरकारी प्रोटोकॉल की कमी पर विपक्ष ने भी सवाल उठाए थे.

जगदीप धनखड़, जो वर्तमान में देश के उपराष्ट्रपति हैं, भी राजस्थान से आते हैं और जाट समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं. जानू का आरोप है कि उनके साथ भी वह सम्मानजनक विदाई नहीं हुई जिसकी उम्मीद की जाती है.

आगे की राजनीति पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम का असर राजस्थान की राजनीति पर पड़ सकता है, खासकर जाट समुदाय में. निष्कासन के बाद जानू का रुख और उनके संभावित राजनीतिक कदम आगामी चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं.

बीजेपी ने हालांकि यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी स्थिति में पार्टी अनुशासन से समझौता नहीं करेगी. वहीं, जानू का कहना है कि उन्होंने सिर्फ सच्चाई कही है और वह अपने बयान पर कायम हैं.


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