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वाराणसी में गंगा का जलस्तर 64 मीटर के करीब, दशाश्वमेध घाट डूबा, आरती स्थल बदला, मणिकर्णिका घाट पर छतों पर चिताएं जल रही हैं।
गंगा उफान पर: बढ़ते जलस्तर ने तोड़ी काशी की परंपराएं
वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से धार्मिक परंपराएं, घाटों की गतिविधियां और आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। दशाश्वमेध घाट समेत कई प्रसिद्ध पक्के घाट जलमग्न हो चुके हैं। हर घंटे दो सेंटीमीटर की रफ्तार से गंगा का जलस्तर बढ़ता जा रहा है और अब तक यह 64 मीटर के करीब पहुंच चुका है।
घाटों पर पानी भर जाने के चलते वहां होने वाली विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती का स्थान पहली बार पीछे खिसकाया गया है। श्रद्धालु, नाविक, तीर्थ पुरोहित, दुकानदार सभी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
बदल गया दशाश्वमेध घाट पर आरती का ऐतिहासिक दृश्य
गंगा सेवा निधि द्वारा कराई जाने वाली शाम की आरती दशाश्वमेध घाट पर सदियों से एक ही स्थान पर होती आई थी। लेकिन इस बार जलस्तर इतना बढ़ गया है कि आरती स्थल पूरी तरह डूब चुका है। संस्था ने इसे 8-10 फीट पीछे शिफ्ट कर दिया है।
संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि यह पहला मौका है जब गंगा आरती का स्थल स्थानांतरित किया गया है। जैसे-जैसे गंगा और उफान पर आएगी, आरती स्थल को और पीछे ले जाया जाएगा। जगह की कमी के चलते अब आरती को पहले 7, फिर 5 और अंत में केवल 3 प्लेटफॉर्म तक सीमित किया जाएगा।
घाटों का टूटा संपर्क, नावों का संचालन बंद
गंगा में बाढ़ आने से सभी पक्के घाटों के बीच आपसी संपर्क पूरी तरह टूट चुका है। कई घाटों की सीढ़ियां जलमग्न हो चुकी हैं। इस कारण से छोटे और मझोले आकार की नावों के संचालन पर रोक लगा दी गई है।
बड़ी मोटरबोट को भी आधी क्षमता के साथ ही संचालन की अनुमति दी गई है। नाविक शंभू निषाद ने बताया कि घाटों पर करीब ढाई हजार नाविक परिवार अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं, लेकिन बाढ़ की स्थिति में उन्हें 2-3 महीने बेरोजगार रहना पड़ता है।
तीर्थ पुरोहितों की पूजा भी डूबी पानी में
घाटों पर पूजा कराने वाले पंडा-पुजारी अब अपनी चौकियों और छतरियों को बाढ़ से बचाने के लिए लगातार ऊंचाई की तरफ खिसका रहे हैं। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, पिछले एक सप्ताह से जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और अब पूजा-पाठ करने के लिए जगह की भारी कमी हो गई है।
धार्मिक कर्मकांडों की बाधा के साथ-साथ श्रद्धालुओं को भी दर्शन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। गंगा सेवा निधि और पुलिस कर्मी मिलकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं और लगातार अनाउंसमेंट किए जा रहे हैं।
मणिकर्णिका घाट पर भीषण संकट: छतों पर हो रहा अंतिम संस्कार
बाढ़ का सबसे वीभत्स असर मणिकर्णिका घाट पर देखने को मिल रहा है, जिसे महाश्मशान कहा जाता है। यहां 5 शवदाह प्लेटफॉर्म में से 3 पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। केवल 2 प्लेटफॉर्म ही अंतिम संस्कार के लिए बचे हैं।
स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि अब छतों पर अस्थायी रूप से शवदाह करना पड़ रहा है। यह पहली बार है जब शवदाह घाट की छतों को श्मशान स्थल में बदलना पड़ा है।
विस्थापित हो रहे दुकानदार, रोजी-रोटी पर संकट
घाटों पर लगे छोटे अस्थायी दुकानदारों को मजबूरन अपनी दुकानें हटानी पड़ रही हैं। ये दुकानदार मुख्य रूप से श्रद्धालुओं को फूल, दीपक, प्रसाद आदि बेचकर जीवन यापन करते हैं। जलस्तर के बढ़ते खतरे के कारण उन्हें अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा है।
प्रशासन सतर्क, लेकिन संकट जारी
प्रशासन द्वारा सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं। गंगा सेवा निधि के स्वयंसेवक, पुलिस बल और प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद है। आरती के समय सुरक्षा बढ़ा दी गई है और दर्शनार्थियों से अपील की जा रही है कि वे घाटों के करीब न जाएं।
जलस्तर के लगातार बढ़ते रहने से अनुमान है कि आने वाले दिनों में गंगा आरती स्थल को और पीछे शिफ्ट करना पड़ेगा और घाटों पर जनसंचार पूरी तरह बाधित हो जाएगा।


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