UP के मंत्री असीम अरुण ने नीली बत्ती वाली गाड़ी में बैठने से किया इनकार, कमिश्नर को पत्र लिख बोले- नियम तोड़ा, इसका चालान काटो!


मंत्री असीम अरुण ने वाराणसी में नीली बत्ती वाली गाड़ी से किया इनकार, पुलिस कमिश्नर को लिखी चिट्ठी, चालान की मांग की।


मंत्री ने ठुकराई नीली बत्ती, वाराणसी में मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने अपने वाराणसी दौरे के दौरान एक ऐसा कदम उठाया जिसने नौकरशाही और प्रशासनिक अमले में सनसनी मचा दी। जब मंत्री जी को उनके काफिले में एक सरकारी वाहन मुहैया कराया गया, जिसमें बिना अनुमति के नीली बत्ती लगी थी, तो उन्होंने तुरंत उस वाहन में चढ़ने से इनकार कर दिया।
मंत्री ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए एक सख्त संदेश दिया और वाराणसी पुलिस कमिश्नर को इस विषय में पत्र लिखकर गाड़ी के खिलाफ चालान काटने की मांग कर दी।

बिना अनुमति की नीली लाइट पर उठाया सवाल

मंत्री असीम अरुण ने स्पष्ट शब्दों में लिखा कि 30 जून को वाराणसी आगमन पर उनके लिए जो गाड़ी तैनात की गई थी, उस पर अनधिकृत रूप से नीली बत्ती लगी थी। उन्होंने न केवल उस गाड़ी का उपयोग करने से मना किया, बल्कि उसका फोटो भी पत्र के साथ संलग्न किया।
उन्होंने लिखा, “मैं इस गाड़ी का उपयोग करना उचित नहीं समझा क्योंकि इस पर नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। कृपया सुनिश्चित करें कि इस गाड़ी का चालान काटा जाए और यह जानकारी मुझे भी दी जाए।”

पूर्व IPS अधिकारी का सख्त अनुशासन

असीम अरुण पूर्व आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं और उनकी छवि एक ईमानदार व अनुशासित प्रशासक की रही है। उन्होंने मंत्री बनने के बावजूद प्रशासनिक नियमों का पालन करते हुए यह उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कानून सभी के लिए समान है।
नीली बत्ती के अनुचित उपयोग पर उनका यह रुख नौकरशाही को कड़ा संदेश देता है कि ‘विपक्षियों की नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष की भी गाड़ियों को नियमों में बांधा जाना चाहिए।’

कब और कहां हुआ था ये पूरा घटनाक्रम?

30 जून को मंत्री असीम अरुण वाराणसी के भुल्लनपुर स्थित कबीर इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित अनुसूचित जाति एवं जनजाति स्वाभिमान सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। यह कार्यक्रम सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार शास्त्री की 94वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
इसके अलावा उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक उच्च स्तरीय बैठक में भी हिस्सा लिया था।

अधिकारियों को दी गई स्पष्ट चेतावनी

मंत्री ने पत्र में अधिकारियों से यह भी अपेक्षा जताई कि आगे से इस प्रकार की लापरवाही न हो। उन्होंने कहा कि नीली बत्ती का प्रयोग केवल उन वाहनों को किया जाना चाहिए जिन्हें वैधानिक रूप से इसकी अनुमति प्राप्त है।
यह पहली बार है जब किसी मंत्री ने अपने ही काफिले में नियम उल्लंघन पाए जाने पर न सिर्फ असहमति जताई बल्कि उसकी लिखित शिकायत भी की।

क्या कहती हैं सरकारी गाइडलाइंस?

भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार, नीली बत्ती का इस्तेमाल अब सिर्फ कुछ विशेष श्रेणी के सरकारी अधिकारियों और आपातकालीन सेवाओं की गाड़ियों तक सीमित है। मंत्री जैसे जनप्रतिनिधियों को इसके लिए विशेष अनुमति नहीं होती जब तक वह खुद सुरक्षा श्रेणी में शामिल न हों।

कानून का पालन हो, चाहे कोई भी हो

मंत्री असीम अरुण का यह फैसला न केवल एक मिसाल है, बल्कि यह दिखाता है कि सत्ता में रहने के बावजूद कोई व्यक्ति नियमों का पालन कैसे कर सकता है।
यह घटना उस सोच को चुनौती देती है जिसमें आमतौर पर यह माना जाता है कि मंत्री और बड़े अधिकारी नियमों से ऊपर होते हैं।

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