निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ीं! करोड़ों की रिश्वत और जमीन घोटाले में फंसे, चार्जशीट दाखिल


सस्पेंड IAS अभिषेक प्रकाश पर रिश्वत और भटगांव जमीन घोटाले में आरोप तय, नियुक्ति विभाग ने दो मामलों में चार्जशीट दी।


रिश्वत और घोटाले में फंसे सस्पेंड IAS अभिषेक प्रकाश, बढ़ीं मुश्किलें

उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में भूचाल लाने वाले सस्पेंड IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। राज्य के appointment department ने उनके खिलाफ दो गंभीर मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है। पहला मामला bribery case से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने सोलर कंपनी से प्रोजेक्ट क्लियरेंस के बदले मोटी रकम मांगी थी। वहीं दूसरा मामला land acquisition scam का है, जिसमें लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा है। इन्वेस्ट यूपी के तत्कालीन CEO रहे अभिषेक प्रकाश को 20 मार्च 2025 को सस्पेंड किया गया था।

सोलर कंपनी से 5% रिश्वत मांगने का आरोप, बिचौलिए की गिरफ्तारी

जानकारी के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश ने SAEL Solar Power Company के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले 5% कमीशन की मांग की थी। इस घूसखोरी मामले में बिचौलिया निकांत जैन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस की जांच में सामने आया कि अभिषेक प्रकाश ने खुद कंपनी के संचालकों को निकांत जैन से संपर्क करने के लिए कहा था। मेरठ निवासी निकांत जैन ने प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में मांगा। कंपनी ने जब इस मामले की शिकायत गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई तो मामला तूल पकड़ गया।

इस घोटाले के उजागर होते ही प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया। यह मामला सामने आने के बाद यूपी की नौकरशाही में हड़कंप मच गया।

भटगांव में जमीन अधिग्रहण घोटाला, फर्जी पट्टों से करोड़ों का खेल

दूसरा बड़ा मामला वर्ष 2021 में लखनऊ के भटगांव का है, जहां डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। आरोप है कि अभिषेक प्रकाश ने जमीन मालिकों के फर्जी पट्टे तैयार कराए और उन्हें संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दे दिए। इसके बाद इन जमीनों को रसूखदार नौकरशाहों और राजनेताओं के करीबी लोगों के नाम कर दिया गया।

इन फर्जीवाड़ों के जरिए जमीनों को यूपी स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPSIDC) के साथ अनुबंध कर ऊंचे दामों में बेचा गया। इसके एवज में करोड़ों रुपये का मुआवजा लिया गया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

नियमों की अनदेखी और सरकारी धन का नुकसान

आरोपपत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि अभिषेक प्रकाश ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी पट्टों के जरिए अवैध तरीके से सरकारी जमीन को निजी हाथों में सौंप दिया। इससे प्रदेश सरकार की zero tolerance policy against corruption पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

नियुक्ति विभाग ने अभिषेक प्रकाश को दोनों मामलों में अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय दिया है। अगर वे जवाब नहीं देते या संतोषजनक उत्तर नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई तेज की जा सकती है।

क्या है अगला कदम?

सरकार की नजर इन दोनों मामलों पर टिकी हुई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के बीच यह मामला प्रदेश में एक नजीर बन सकता है। आईएएस लॉबी में इस केस को लेकर जबरदस्त चर्चा है।

अब देखना होगा कि अभिषेक प्रकाश इस गंभीर आरोप से कैसे बाहर निकलते हैं या फिर उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा और कसता है।

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