शिवपुरी में युवक से BJP नेताओं की मौजूदगी में जूता सिर पर रखवाकर माफी मंगवाई गई, तालिबानी सजा का वीडियो हुआ वायरल।
शिवपुरी में 'तालिबानी इंसाफ': जूता सिर पर रखकर मांगी माफी, वीडियो वायरल
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के बैराड़ कस्बे में शनिवार को एक शर्मनाक घटना सामने आई, जिसने न केवल इंसानियत को शर्मसार कर दिया बल्कि न्याय की परिभाषा पर भी सवाल खड़े कर दिए। यहां एक युवक को बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में जूता सिर पर रखकर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया। ये पूरा घटनाक्रम बैराड़ थाने के सामने घटा और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
तालाब पर हुए झगड़े से शुरू हुई कहानी
बैराड़ निवासी व्यवसायी मनीष गुप्ता के बेटे सार्थक और जिले में जिलाबदर रह चुका सुल्तान रावत का बेटा कुलदीप कुछ दिन पहले तालाब किनारे किसी बात को लेकर उलझ पड़े। इस मौखिक विवाद ने धीरे-धीरे तूल पकड़ लिया। मनीष गुप्ता ने अपने साथियों के साथ कुलदीप की पिटाई कर दी थी, लेकिन कुलदीप ने उस समय पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई।
इस घटना के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बना रहा। आपसी रंजिश के चलते हालात बिगड़ते गए और सामाजिक स्तर पर मामला इतना गंभीर हो गया कि राजनीतिक हस्तक्षेप की नौबत आ गई।
पूर्व मंत्री और BJP नेता पहुंचे सुलह करवाने
शनिवार को मामला शांत कराने के लिए पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा, बीजेपी मंडल महामंत्री पवन गुप्ता समेत कई स्थानीय नेता और समाजसेवी इकट्ठा हुए। बैराड़ थाने के सामने ही पंचायत की तरह बैठक बुलाई गई और वही फैसला हुआ जिसने सभी को चौंका दिया।
पंचायत में तय किया गया कि जब तक सार्थक, कुलदीप और उसके भाई छोटू का जूता अपने सिर पर रखकर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगेगा, तब तक मामले को खत्म नहीं माना जाएगा। सभी के सामने सार्थक को मजबूर किया गया कि वह जूता सिर पर रखकर अपनी गलती माने और माफी मांगे।
वीडियो वायरल होते ही मचा बवाल
क्या बोले पीड़ित और नेता?
इस मामले पर पीड़ित युवक सार्थक ने ज्यादा कुछ कहने से इनकार किया और सिर्फ इतना कहा कि "मैं बस चाहता था कि मामला किसी तरह सुलझ जाए, इसलिए मैंने माफी मांग ली।"
वहीं, पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा का कहना है कि जब वह घटनास्थल पर पहुंचे, उस समय किसी को जूता सिर पर रखने जैसी कोई बात नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली से लौटते समय रास्ते में रुका था और दोनों पक्षों में समझौता करवाकर चला गया।”
टीआई रविशंकर कौशल ने भी इस प्रकार की किसी घटना की पुष्टि नहीं की है। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी जूता रखवाने या तालिबानी सजा जैसी जानकारी नहीं है।
वीडियो को बताया गया 'एडिटेड'
वीडियो वायरल होने के बाद कुलदीप के भाई छोटू रावत ने सफाई दी कि यह पूरा मामला उनके घर का है और जो वीडियो सामने आया है, वह एडिटेड है। उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिश बताया और कहा कि कुछ लोग जानबूझकर माहौल खराब करना चाह रहे हैं।
थाने के सामने खुलेआम इंसाफ या अपमान?
इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि यह सब कुछ बैराड़ थाने के ठीक सामने हुआ। क्या थाने के सामने इंसाफ का यह तरीका सही था? क्या किसी भी व्यक्ति को जूता सिर पर रखने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने पर मजबूर करना कानूनन और नैतिक रूप से जायज है? यह सवाल अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुका है।
अब क्या होगा आगे?
BJP नेताओं की मौजूदगी और पूर्व मंत्री के बयान के बावजूद पुलिस इस मामले को नजरअंदाज करती दिख रही है। स्थानीय प्रशासन ने अब तक कोई लिखित कार्रवाई नहीं की है और न ही वायरल वीडियो को लेकर जांच की बात कही है।
घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि पंचायत, राजनीति और समाज के दबाव में कभी-कभी न्याय की प्रक्रिया कैसे अपमानजनक बन जाती है। वीडियो के वायरल होने के बाद अब यह देखना होगा कि पुलिस या प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई करता है या नहीं।


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