शाहजहांपुर में ट्रेनी IAS ने वकीलों के सामने पकड़े कान, उठक-बैठक लगाकर मांगी माफी! वायरल Video ने मचाया तहलका― यहां जानिए पूरा मामला



शाहजहांपुर में ट्रेनी IAS रिंकू सिंह ने वकीलों से विवाद के बाद कान पकड़कर उठक-बैठक लगाई, माफी मांगने का वीडियो वायरल हो गया।


शाहजहांपुर का प्रशासनिक ड्रामा: EWS प्रमाणपत्र से शुरू हुआ बवाल माफी तक कैसे पहुंचा?

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में बीते दिनों एक अजीबोगरीब और चौंकाने वाली प्रशासनिक घटना ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी। यह मामला पुवायां तहसील का है, जहां एक ट्रेनी IAS अधिकारी रिंकू सिंह ने मंच पर सार्वजनिक रूप से कान पकड़कर उठक-बैठक लगाई और अधिवक्ताओं से माफी मांगी। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया है और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

EWS प्रमाण पत्र को लेकर तीन दिन से चल रहा था अधिवक्ताओं का आंदोलन

पुवायां तहसील में EWS प्रमाण पत्र को लेकर कई दिनों से विवाद चल रहा था। बताया जा रहा है कि तहसील में प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को लेकर अधिवक्ताओं और प्रशासन के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ था। कुछ अधिवक्ता इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और लापरवाही का आरोप लगा रहे थे, वहीं अधिकारियों का दावा था कि सारी प्रक्रिया नियमों के तहत हो रही है।

विवाद इतना गहरा गया कि अधिवक्ताओं ने तीन दिन का धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बीच जिला प्रशासन ने तत्कालीन एसडीएम चित्रा निर्वाल को हटा दिया और नवागत ट्रेनी IAS रिंकू सिंह को पुवायां तहसील का नया एसडीएम नियुक्त कर दिया।

वकील को लगाई फटकार, फिर भड़का गुस्सा

नवागत एसडीएम रिंकू सिंह जब धरना स्थल का जायजा लेने पहुंचे, तभी उन्होंने तहसील परिसर में एक अधिवक्ता को दीवार पर पेशाब करते हुए देख लिया। उन्होंने तत्काल अधिवक्ता को ऐसा करने से मना किया और डांट लगा दी। इस पर वकील भड़क उठे और आरोप लगाया कि तहसील परिसर में गंदगी और शौचालय की बदहाली के कारण उन्हें दीवार पर पेशाब करने को मजबूर होना पड़ा।

इस पर अधिवक्ता ने यह भी कहा कि वे जनेऊधारी ब्राह्मण हैं और गंदे शौचालय में जाना उनके धर्म के खिलाफ है। इस टिप्पणी ने अधिवक्ता समुदाय के गुस्से को और उभार दिया।

ट्रेनी IAS ने खुद मंच पर चढ़कर मांगी माफी

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एसडीएम रिंकू सिंह ने धरना स्थल पर जाकर वकीलों को समझाने की कोशिश की, लेकिन अधिवक्ताओं की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही थी। अंततः मामला शांत कराने के लिए रिंकू सिंह मंच पर चढ़े और उन्होंने वहां मौजूद सभी अधिवक्ताओं से माफी मांगी।

उन्होंने माइक पर कहा, “मैं इस तहसील का सबसे बड़ा अधिकारी हूं। अगर मेरी किसी बात या व्यवहार से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं सार्वजनिक रूप से क्षमा चाहता हूं।” इसके बाद उन्होंने खुद कान पकड़े और पांच बार उठक-बैठक लगाई।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘माफी वीडियो’

एसडीएम द्वारा सार्वजनिक रूप से माफी मांगना और कान पकड़कर उठक-बैठक लगाने का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्मों पर इस वीडियो को हजारों बार शेयर किया गया। कुछ लोग इसे विनम्रता और प्रशासनिक समझदारी की मिसाल बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोगों ने इसे एक अफसर की ‘बेइज्जती’ बताया।

जनता बोली: ‘अहंकार छोड़ना सीखो तो यही प्रशासनिक संवेदना है’

शाहजहांपुर की जनता और सोशल मीडिया यूजर्स इस घटना को लेकर बंटे नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां कई लोग ट्रेनी IAS की प्रशंसा कर रहे हैं कि उन्होंने विवाद को बढ़ाने के बजाय सुलझाने की पहल की, वहीं दूसरी ओर कुछ का कहना है कि एक अफसर को इस हद तक झुकना नहीं चाहिए था।

क्या यह ट्रेनी IAS की मजबूरी थी या सूझबूझ?

इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या किसी अधिकारी को भीड़ के दबाव में झुकना चाहिए? क्या वकीलों का गुस्सा इतना उचित था कि एक IAS को मंच पर उठक-बैठक लगाकर माफी मांगनी पड़ी? या यह अफसर की प्रशासनिक सूझबूझ थी जिससे एक बड़ा टकराव टाल दिया गया?

फिलहाल, रिंकू सिंह के इस कदम से पुवायां तहसील में शांति जरूर बहाल हो गई है। लेकिन यह घटना अब यूपी प्रशासनिक सेवा के इतिहास में दर्ज हो गई है। साथ ही इसने यह भी दिखाया कि एक अफसर चाहे तो ईगो छोड़कर भी बड़ी समस्याएं सुलझा सकता है।

डीएम की भूमिका पर भी उठे सवाल

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जिला अधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यदि डीएम कार्यालय द्वारा पहले ही तहसील की व्यवस्थाओं पर ध्यान दिया गया होता तो यह विवाद इस हद तक नहीं पहुंचता।

अधिवक्ताओं की शिकायतें कोई नई नहीं थीं, लेकिन उन्हें लगातार नजरअंदाज किया गया। यही कारण रहा कि बात अब प्रशासनिक शर्मिंदगी तक जा पहुंची।



वकीलों ने आंदोलन किया स्थगित

एसडीएम द्वारा माफी मांगने और उठक-बैठक लगाने के बाद वकीलों ने अपना आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया है। उनका कहना है कि वे अब जिला प्रशासन द्वारा की जाने वाली कार्यवाही और सुविधाओं की स्थिति की समीक्षा करेंगे।

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