सोते रहे डॉक्टर साहब, तड़पता रहा मरीज: मेरठ मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की लापरवाही से सड़क हादसे में घायल युवक की मौत, वीडियो वायरल


मेरठ मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की नींद ने ले ली मरीज की जान, इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर सोते रहे और घायल युवक ने दम तोड़ दिया।


हादसा या हत्या? डॉक्टर की नींद में गई सुनील की जान

मेरठ के प्रतिष्ठित लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (LLRM Medical College) एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है ऐसा वीडियो, जो इंसानियत को झकझोर देने वाला है। वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल के आपातकालीन (emergency ward) विभाग में एक डॉक्टर आराम से कुर्सी पर पैर रखकर सो रहा है, जबकि पास ही एक गंभीर रूप से घायल मरीज स्ट्रेचर पर तड़प रहा है।

रात का वक्त था, 27 जुलाई की आधी रात, जब एक गंभीर सड़क दुर्घटना में घायल युवक सुनील, जिसे किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी, अस्पताल लाया गया। लेकिन अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर उसकी जान बचाने की बजाय गहरी नींद में खोए रहे। इलाज न मिलने से सुनील ने वहीं दम तोड़ दिया।

वायरल वीडियो ने खोली लापरवाही की परतें

पूरा मामला तब सामने आया जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि ऑर्थोपेडिक्स विभाग का जूनियर डॉक्टर एक कमरे में टेबल पर पैर फैलाकर सो रहा है। मरीज दर्द से कराह रहा है, लेकिन उसकी ओर देखने वाला कोई नहीं। इस वीडियो ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया, लोगों ने डॉक्टर की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए।

डॉक्टर सोए रहे, मरीज तड़पता रहा

परिजनों के मुताबिक घायल सुनील को रात करीब 1 बजे एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में लाया गया था। वह बुरी तरह घायल था और तुरंत इलाज की ज़रूरत थी। लेकिन जब वह वहां पहुंचा, तो देखा गया कि डॉक्टर कुर्सी पर गहरी नींद में सोए हुए थे। परिवार वालों ने बार-बार आवाज़ दी, हिलाया तक, लेकिन डॉक्टर की नींद नहीं टूटी।

सुनील दर्द से कराहता रहा और इलाज के अभाव में कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों की चीख-पुकार के बीच अस्पताल में मौजूद स्टाफ भी मूक दर्शक बना रहा।

मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्रवाई

मामला जब मीडिया और सोशल मीडिया पर उछला तो एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरसी गुप्ता ने तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो के आधार पर दो डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया है और तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है।

डॉ. गुप्ता ने कहा:
“दो जूनियर डॉक्टर—भूपेश कुमार राय और अनिकेत—ड्यूटी पर थे, लेकिन वायरल वीडियो में दोनों में से एक सोते दिखे। यह गंभीर लापरवाही है। जांच समिति को 3 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।”

आधिकारिक पत्र में क्या लिखा है?

एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि:
“27/28 जुलाई 2025 की रात करीब 1 बजे इमरजेंसी के प्लास्टर रूम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें डॉक्टर भूपेश कुमार राय (ऑर्थोपेडिक्स) ड्यूटी के दौरान सोते हुए नजर आ रहे हैं। मरीज वहां मौजूद था और मदद मांग रहा था। वीडियो की गंभीरता को देखते हुए दोनों डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।”

सड़क हादसे में घायल हुआ था सुनील

पीड़ित युवक की पहचान सुनील, निवासी हसनपुर गांव के रूप में हुई है। वह रात में सड़क पार कर रहा था जब किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। घटना के तुरंत बाद राहगीरों ने उसे उठाकर मेरठ मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया।

परिजनों ने बताया,
“हम समय पर सुनील को लेकर पहुंचे। लेकिन डॉक्टर को जब जगाया गया तो उन्होंने इलाज से मना कर दिया। उन्होंने मरीज को छूना तक जरूरी नहीं समझा।”

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कई यूजर्स ने कहा कि यह हत्या के बराबर है। कुछ ने लिखा—
“अगर डॉक्टर की जगह किसी पुलिसकर्मी की लापरवाही से किसी की जान जाती तो क्या उसे सिर्फ सस्पेंड किया जाता?”
“ये डॉक्टर नहीं, हत्यारे हैं। ऐसे लोगों को हमेशा के लिए मेडिकल प्रैक्टिस से बैन कर देना चाहिए।”

मेडिकल कॉलेज की साख पर सवाल

मेरठ मेडिकल कॉलेज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थानों में गिना जाता है, जहां हर दिन सैकड़ों गंभीर मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसी संस्थान में डॉक्टर का यूं लापरवाह होकर नींद लेना और मरीज का मर जाना, सिस्टम की गहराई तक सड़ी हुई स्थिति को दर्शाता है।

आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा

फिलहाल दोनों जूनियर डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया है और जांच जारी है। तीन दिन के भीतर समिति रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सिर्फ जूनियर डॉक्टर जिम्मेदार हैं या सिस्टम में बैठे वरिष्ठों की भी जिम्मेदारी बनती है?



मरीज की जान की कीमत क्या सिर्फ एक निलंबन?

इस पूरी घटना में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब एक आम आदमी अस्पताल में इलाज के लिए जाता है, तो क्या उसे इंसान नहीं समझा जाता? क्या डॉक्टर की ड्यूटी सिर्फ सैलरी तक सीमित है? सुनील की मौत एक हादसा नहीं, व्यवस्था की लापरवाही का शिकार है।

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