10 साल से बंद था मृत ACMO का सरकारी कमरा, मरम्मत के लिए खोला तो बिस्तर के नीचे मिले 22 लाख रुपये! पुलिस भी रह गई दंग


10 साल से बंद सरकारी कमरे में बिस्तर के नीचे मिले 22 लाख रुपये, एसीएमओ बीएन तिवारी की रहस्यमयी मौत की फिर चर्चा


10 साल पुराना सील कमरा खुला, तो उड़ गए होश

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस, प्रशासन और आम जनता को चौंका कर रख दिया है। वर्ष 2014 में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के शिकार हुए ACMO डॉ. ब्रह्मनारायण तिवारी के सरकारी आवास को जब 10 साल बाद खोला गया, तो अंदर का दृश्य देखकर हर कोई हैरान रह गया। मरम्मत के लिए खोले गए इस कमरे के बिस्तर के नीचे से कुल 22 लाख 48 हजार 5 रुपये की नगदी बरामद हुई।

संदिग्ध हालत में मिली थी डॉक्टर की लाश

डॉ. बीएन तिवारी की मौत 29 जनवरी 2014 को रहस्यमयी हालात में हुई थी। प्रतापगढ़ जिले के मूल निवासी डॉ. तिवारी 28 अगस्त 2007 को ट्रांसफर होकर अंबेडकर नगर आए थे और मीरानपुर सीएचसी के सरकारी क्वार्टर में रहते थे। उस दिन सुबह जब वे बाहर नहीं निकले, तो प्रशासन को जानकारी दी गई। दरवाजा तोड़कर देखा गया तो डॉ. तिवारी का शव बेड पर पड़ा था। इसके बाद आवास को सील कर दिया गया और दस वर्षों तक वहीं बंद पड़ा रहा।

बिस्तर के नीचे छिपा था 22 लाख रुपये से अधिक कैश

कमरे की मरम्मत के लिए जब जिलाधिकारी अनुपम शुक्ल और सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल की अनुमति से दो सदस्यीय टीम के सामने कमरा खोला गया, तो बिस्तर के नीचे रखी पुरानी थैलियों में 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोटों की गड्डियां मिलीं। नगदी की कुल राशि 22,48,005 रुपये निकली, जिसे बाद में जिला कोषागार में सुरक्षित जमा कर दिया गया है।

मरम्मत के नाम पर खुला सील कमरा

सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल ने बताया कि मीरानपुर सीएचसी के भवनों की मरम्मत कराई जा रही है। उसी क्रम में ACMO के वर्षों से बंद सरकारी कमरे को भी खोलने की बात आई। उन्होंने जिलाधिकारी से इस संबंध में अनुमति मांगी और दो सदस्यीय समिति की निगरानी में वीडियोग्राफी के साथ कमरा खोला गया। इस दौरान बिस्तर के नीचे गुप्त रूप से रखी गई नकदी मिली।

पुलिस को भी नहीं थी सूचना, केस नहीं हुआ दर्ज

कमरा खोलने से पहले सीएमओ ने स्थानीय पुलिस को इस संबंध में सूचना दी। जब पुलिस से पूछा गया कि क्या मृतक डॉक्टर के खिलाफ कोई केस दर्ज है या इस पैसे से जुड़ा कोई मामला है, तो पुलिस ने साफ किया कि इस संबंध में उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। यानि कि 2014 से लेकर अब तक डॉक्टर बीएन तिवारी की मौत और उस आवास में पड़े लाखों रुपये को लेकर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई।

पांच CMO बदले, किसी ने नहीं उठाया कदम

सूत्रों की मानें तो डॉ. बीएन तिवारी की मृत्यु के बाद अंबेडकर नगर जिले में पांच मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) बदले, लेकिन किसी ने भी इस सरकारी कमरे को खोलने या उसकी जांच कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। यह लापरवाही अब सवालों के घेरे में है।

अब फिर से उठ रहे सवाल – मौत थी दुर्घटना या राज़?

इस रहस्यमयी मामले में एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है कि आखिरकार डॉक्टर बीएन तिवारी की मौत हादसा थी या फिर इसके पीछे कोई गहरा राज छिपा है? बिस्तर के नीचे इतनी बड़ी राशि किस मकसद से छिपाई गई थी? क्या यह घोटाले का हिस्सा थी या फिर किसी ब्लैकमनी का लिंक है?

नोटबंदी से पहले के हैं सारे नोट

बरामद की गई राशि के नोट 1,000 और 500 के पुराने नोट हैं, जो 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान चलन से बाहर हो चुके हैं। ऐसे में यह साफ है कि यह नकदी डॉक्टर की मौत से पहले की है। अब सवाल यह भी है कि इतने वर्षों तक इस नकदी के बारे में किसी को भनक क्यों नहीं लगी और इसे लेकर कोई रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं हुई।

जांच में जुटा प्रशासन और पुलिस

फिलहाल यह मामला प्रशासनिक और कानूनी जांच के दायरे में आ गया है। बरामद हुई राशि को ट्रेजरी में जमा कर दिया गया है और इसकी जांच पुलिस कर रही है। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन इतनी बड़ी रकम की बरामदगी और रहस्यमयी मौत को लेकर जांच अधिकारियों को कई स्तर पर पड़ताल करनी होगी।

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