कांग्रेस ने सत्ता बचाने के लिए संविधान को रौंदा, लोकतंत्र को बनाया बंधक—शंकर गिरी ने मड़ियाहूं में प्रेस वार्ता में लगाए गंभीर आरोप
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
आपातकाल के 50 साल: संविधान के गला घोंटने की शर्मनाक घटना को याद कर गरजे भाजपा नेता
'यह कोई युद्ध नहीं, सत्ता की भूख थी': शंकर गिरी का आरोप
शंकर गिरी ने स्पष्ट किया कि आपातकाल किसी बाहरी युद्ध या आंतरिक विद्रोह के चलते नहीं लगाया गया था, बल्कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द किए जाने के बाद सत्ता बचाने की साजिश के तहत देश को तानाशाही में झोंक दिया गया। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 352 का गलत इस्तेमाल कर देशभर में लोकतंत्र को अपंग बना दिया गया।
प्रेस की आज़ादी, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर बेवजह हमला किया गया। उस रात प्रेस के दफ्तरों की बिजली काट दी गई, और रेडियो पर महज एक तानाशाही आदेश जारी कर देश को डर और दमन में धकेल दिया गया।
‘कांग्रेस के लिए संविधान एक औजार मात्र’: भाजपा जिलाध्यक्ष की टिप्पणी
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि जिस संविधान की शपथ लेकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं, उसी संविधान की आत्मा को कुचलते हुए उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदल डाला। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने इस्तीफा देने की बजाय लोकतांत्रिक संस्थाओं को कठपुतली बना दिया।
डॉ. सिंह के अनुसार कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका—लोकतंत्र के तीनों स्तंभ—उस समय कांग्रेस की सत्ता के सामने घुटनों पर थे। यह लोकतंत्र के लिए सबसे काला अध्याय था।
नेताओं की गिरफ्तारी और प्रेस की आज़ादी पर हमला
आपातकाल की रात में ही देश भर के विपक्षी नेताओं को रातोंरात बंदी बना लिया गया। प्रेस को पूरी तरह से सेंसर कर दिया गया और जनता को सही सूचना तक पहुंचने से वंचित रखा गया। यह सब कांग्रेस द्वारा सत्ता बचाने की लालसा में किया गया एक संगठित हमला था।
भाजपा द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन
प्रेस वार्ता के उपरांत प्रदेश मंत्री शंकर गिरी द्वारा आपातकाल विषयक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। इस मौके पर कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे जिनमें विधायक डॉ. आर. के. पटेल, पूर्व जिलाध्यक्ष ब्रह्मदेव मिश्रा, डॉ. श्याम दत्त दूबे, अभिषेक सिंह, चंद्रप्रकाश सिंह पप्पू, पंडित राजकृष्ण शर्मा, मनोज चौरसिया, संतोष गुप्ता, इंद्रेश तिवारी, सूरज चौरसिया, और नितेश सेठ प्रमुख रहे।
कांग्रेस की सोच में लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं: शंकर गिरी
प्रेस वार्ता का समापन करते हुए शंकर गिरी ने कहा कि जब-जब कांग्रेस को सत्ता खतरे में लगती है, वो संविधान और लोकतंत्र से खिलवाड़ करने से नहीं चूकती। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि 1975 की उस काली रात को कभी न भूलें और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सचेत रहें।


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