अलीगढ़ में 45 वर्षीय महिला ने डिप्रेशन में मोबाइल टावर से छलांग लगाकर दी जान, 8 महीने से थी बीमार, पति ने कही भावुक बात
डिप्रेशन में डूबी महिला की दर्दनाक मौत
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के महुआ खेड़ा थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां 45 वर्षीय महिला ने मोबाइल टावर से कूदकर आत्महत्या कर ली। महिला की पहचान कमलेश देवी के रूप में हुई है, जो पिछले आठ महीने से गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। मानसिक तनाव और डिप्रेशन की वजह से उसने यह खौफनाक कदम उठाया।
सुबह घर से निकलकर पहुंची मोबाइल टावर पर
घटना रविवार सुबह की है। पति गुड्डू, जो ऑटो चालक हैं, रोज की तरह सुबह चार बजे पत्नी को चाय देकर काम पर निकल गए थे। घर में कमलेश अपनी बेटी और दो बेटों के साथ थी। बेटी सुबह 7:30 बजे खाना बना रही थी और मां से कहा कि रोटी खाकर दवा खा लेना। लेकिन कमलेश चुपचाप घर से निकल गई और गांव के ही एक मोबाइल टावर पर चढ़ गई।
बच्चों को दे गई धोखा, फिर छलांग लगाई
बेटी के अनुसार, मां ने कुछ नहीं कहा और अचानक गायब हो गई। थोड़ी देर बाद गांव वालों को मोबाइल टावर से किसी के कूदने की खबर मिली। जब लोग दौड़े तो नीचे खून से लथपथ कमलेश देवी का शव पड़ा था। आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस ने शव कब्जे में लेकर शुरू की जांच
सूचना मिलने के बाद महुआ खेड़ा थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। शुरुआती जांच में आत्महत्या का कारण डिप्रेशन बताया जा रहा है, जो पिछले आठ महीनों से बीमारी के चलते और गहरा गया था।
पति ने कार्रवाई से किया इनकार
कमलेश के पति गुड्डू ने पुलिस को बताया कि पत्नी को कई बार चक्कर और घबराहट होती थी। इलाज भी कराया गया था लेकिन स्थिति सुधरी नहीं। उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्या है और वह किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते।
गांव में मातम, लोग स्तब्ध
कमलेश की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा है। ग्रामीणों के मुताबिक, वह शांत स्वभाव की महिला थी लेकिन पिछले कुछ समय से बेहद कमजोर और परेशान रहने लगी थी। आत्महत्या की खबर फैलते ही गांव में सन्नाटा छा गया।
बेटी ने बताया मां का आखिरी लम्हा
बेटी ने बताया कि मां ने खाना बनाने के दौरान सिर्फ यही कहा था कि "रोटी खाकर दवा खा लूंगी।" इसके बाद मां चुपचाप चली गई और फिर मोबाइल टावर से कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
बीमार शरीर से टूटी आत्मा
कमलेश की आत्महत्या ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि डिप्रेशन से जूझ रहे मरीजों के लिए मानसिक सहायता और भावनात्मक सहयोग कितना जरूरी है। बीमारी से थकी आत्मा ने इस दुनिया से विदा लेना ही आखिरी रास्ता समझा।


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