औरैया में दिल दहला देने वाला मामला, सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों ने भगा दिया, सड़क पर गर्भवती ने बेटे को जन्म दिया।
इंसानियत को किया शर्मसार! अस्पतालों की बेरुखी के बीच सड़क बना प्रसव कक्ष
उत्तर प्रदेश के Auraiya जिले से एक झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। बिधूना तहसील के साहूपुर गांव की गर्भवती महिला Rukhsar को सरकारी और फिर प्राइवेट दोनों अस्पतालों ने इलाज देने से इनकार कर दिया। लाचार और बेबस महिला ने सड़क किनारे ही बेटे को जन्म दिया।
"यहां डिलीवरी नहीं होगी, निकलो बाहर" - सरकारी अस्पताल ने दिखाई बेरुखी
गर्भवती रुखसार जब तेज दर्द के साथ Government Hospital पहुंची, तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने हीमोग्लोबिन कम (6 पॉइंट) होने की बात कहकर उसे भर्ती करने से साफ मना कर दिया।
परिजनों ने जब ज़ोर डाला तो स्टाफ ने कहा-
"तुम्हें सैफई रेफर करना पड़ेगा, यहां मत रुको!"
इस अपमानजनक व्यवहार से आहत महिला के परिजन उसे लेकर बाहर निकल पड़े।
Private Hospital ने भी दिखाई पीठ, सड़क पर ही शुरू हुआ प्रसव
गर्भवती महिला को रात के अंधेरे में Private Hospital ले जाया गया। मगर वहां भी डॉक्टरों ने सुनवाई नहीं की।
रात के करीब 11 बजे जब दर्द असहनीय हो गया, महिला ने अस्पताल के बाहर ही सड़क पर baby boy को जन्म दिया।
दाई को बुलाया गया और तखत पर लिटाकर मुश्किल हालात में प्रसव कराया गया।
रात के अंधेरे में जगीं इंसानियत की आखिरी उम्मीदें
रुखसार के परिवार वालों के अनुसार -
"रातभर हम इधर से उधर भटकते रहे। सरकारी से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक सबने मना कर दिया। आखिरकार, सड़क ही हमारी किस्मत बन गई।"
महिला ने बिना किसी डॉक्टर के मदद के अपने बेटे को जन्म दिया।
CHC अधीक्षक ने क्या कहा? जानिए उनका पक्ष
CHC अधीक्षक वीपी शाक्य ने मामले में अपनी सफाई पेश करते हुए कहा-
"महिला के पास कोई दस्तावेज नहीं था। हीमोग्लोबिन कम होने पर हमने उसे रेफर करने को कहा। लेकिन वह खुद ही अस्पताल से बाहर चली गई।"
हालांकि, अस्पताल प्रबंधन की यह दलील लोगों के गले नहीं उतर रही है।
पूरे गांव में गुस्सा और प्रशासन से इंसाफ की मांग
घटना के बाद साहूपुर गांव में anger और resentment की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि "अगर अस्पताल वाले सही समय पर मदद करते तो यह स्थिति न बनती।"
अब प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं और परिवार न्याय की मांग कर रहा है।
मानवता हुई तार-तार, जिम्मेदारों पर कार्रवाई की उठी मांग
जहां एक तरफ अस्पतालों का दायित्व लोगों की जान बचाना है, वहीं इस घटना ने UP hospital negligence के मामलों की काली सच्चाई सामने रख दी है।
लोगों का कहना है कि ऐसी लापरवाही पर तत्काल सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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