हिजबुल आतंकी उल्फत हुसैन को मुरादाबाद कोर्ट ने 10 साल की सजा और ₹48,000 जुर्माने की सजा सुनाई, हथियारों के साथ हुआ था गिरफ्तार।
हिजबुल आतंकी उल्फत हुसैन को 10 साल की जेल, हथियारों के जखीरे के साथ पकड़ा गया था
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में आतंकवाद से जुड़े एक बेहद गंभीर मामले में आखिरकार 23 साल बाद इंसाफ की गूंज सुनाई दी। आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े उल्फत हुसैन उर्फ मौलाना सैफुल इस्लाम को कोर्ट ने 10 साल की कठोर कैद और ₹48,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है। ये वही आतंकी है जिसके कब्जे से AK-47, AK-56, हैंड ग्रेनेड, टाइमर और डेटोनेटर जैसे जानलेवा हथियार बरामद किए गए थे।
ADJ-11 की मुरादाबाद कोर्ट ने सोमवार को इस केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। जम्मू-कश्मीर के पुंछ का रहने वाला यह आतंकी 2002 में मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी के समय उसके पास से आतंक फैलाने का पूरा जखीरा मिला था।
गिरफ्तारी के वक्त बरामद हुआ था 'मौत का सामान'
कटघर थाना पुलिस ने जब उल्फत को पकड़ा था, तब उसके पास से भारी मात्रा में खतरनाक हथियार और विस्फोटक बरामद हुए थे। पुलिस को जो सामान मिला था, वो किसी बड़े आतंकी हमले का इशारा करता था:
- एक AK-47 और एक AK-56 राइफल
- दो पिस्टल
- 12 हैंड ग्रेनेड
- 29 किलो विस्फोटक सामग्री
- 50 डेटोनेटर
- 39 टाइमर
- 08 मैगजीन
- 560 कारतूस
जांच एजेंसियों को इस बात के भी सबूत मिले थे कि उल्फत धार्मिक स्थलों और भीड़भाड़ वाले इलाकों को निशाना बनाने की साजिश रच रहा था।
2008 में मिली थी बेल, फिर बन गया 'गायब आतंकवादी'
सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि 2008 में उल्फत को जमानत मिल गई थी। लेकिन बेल पर बाहर आते ही उसने अदालत से फरार होने का रास्ता चुना। इसके बाद मुरादाबाद पुलिस ने उल्फत पर ₹25,000 का इनाम घोषित कर दिया था। कई सालों तक उसकी तलाश की जाती रही, पर वह गिरफ्त से बाहर रहा।
2025 में फिर गिरफ्त में आया 'मौलाना सैफुल इस्लाम'
8 मार्च 2025 को उत्तर प्रदेश एटीएस और कटघर थाना पुलिस ने एक बड़ा ऑपरेशन चलाया। जम्मू-कश्मीर में की गई एक खुफिया छापेमारी के दौरान उल्फत को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार कर मुरादाबाद लाया गया और फिर ADJ-11 की कोर्ट में पेश किया गया।
23 साल बाद सुनाई गई 10 साल की सजा
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने सबूतों की एक मजबूत चेन पेश की। गवाहों के बयान, हथियारों की बरामदगी और फरारी के तथ्य सामने आने के बाद कोर्ट ने उल्फत को दोषी माना और 10 साल की कठोर सजा के साथ ₹48,000 का जुर्माना लगाया।
इस केस ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंक कितना लंबा खेल खेलता है और कानून को कितना लंबा संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन अंत में न्याय की जीत होती है।


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