128 साल तक बीमार तक नहीं पड़े! लकड़ी का तकिया, उबला खाना और योग से अमरत्व छू गए बाबा शिवानंद - वाराणसी में हुआ अंतिम संस्कार


128 साल तक कभी बीमार नहीं हुए बाबा शिवानंद का वाराणसी में निधन। जानिए उनके उबले खाने, योग और संयम से भरे जीवन का राज।


बाबा शिवानंद का निधन: योग और संयम से भरी अविश्वसनीय यात्रा का अंत

वाराणसी — 128 वर्ष की दीर्घायु और बीमारियों से कोसों दूर रहने वाले योग गुरु पद्मश्री बाबा शिवानंद का शनिवार रात निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को दुर्गाकुंड स्थित आश्रम लाया गया, जहां से आज हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। बाबा शिवानंद की जीवनशैली ही उनकी लंबी उम्र का सबसे बड़ा रहस्य थी।

लकड़ी का तकिया और आधा पेट भोजन था लंबी उम्र का मूलमंत्र

बचपन से ही योग को जीवन का आधार बनाने वाले बाबा शिवानंद ने साधारण जीवन जीते हुए बड़ा संदेश दिया। उन्होंने हमेशा आधा पेट ही भोजन करने का नियम अपनाया। उनका आहार बेहद सादा रहा — उबला हुआ खाना, बिना मसाले और तेल के। रात को वह जमीन पर चटाई बिछाकर और लकड़ी के तकिए पर सोते थे। यह सरल दिनचर्या ही उन्हें no illness की मिसाल बनाती रही।

छह वर्ष की उम्र से योग साधना और संयमित जीवन की शुरुआत

4 साल की उम्र में परिवार छोड़ने वाले बाबा शिवानंद ने 6 साल की छोटी उम्र से ही योग की साधना शुरू कर दी थी। उन्होंने बाबा ओंकारानंद गोस्वामी से दीक्षा प्राप्त की और योग को जीवन का स्थायी हिस्सा बना लिया। प्रयागराज के महाकुंभ से लेकर काशी के घाटों तक, उनका योग प्रेम जगजाहिर रहा।

126 साल की उम्र में पद्मश्री लेने पहुंचे तो किया नंदी मुद्रा में प्रणाम

21 मार्च 2022 को बाबा शिवानंद को Padma Shri पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जब वह सम्मान लेने दिल्ली पहुंचे, तो उन्होंने नंदी मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम किया। इस दौरान पीएम मोदी ने भी उठकर उन्हें झुककर नमन किया। यह दृश्य उस वक्त सुर्खियों में छा गया था।

भूख से परिवार खोने के बाद चुनी संयम की राह

बचपन में भूख से माता-पिता और बहन को खो देने वाले बाबा शिवानंद के मन में भोजन को लेकर गहरा सबक बैठ गया। उन्होंने तय किया कि वे जीवन भर आधा पेट ही भोजन करेंगे। इस निर्णय ने न केवल उनके शरीर को हल्का और रोगमुक्त रखा, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक दृष्टि से भी ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

दुनिया भर में बने लाखों मुरीद, फिर भी काशी में मिली सच्ची शांति

baba shivanand ने योग के माध्यम से न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर के लोगों को प्रभावित किया। PM Modi से लेकर विदेशों तक उनके लाखों अनुयायी रहे। फिर भी उन्होंने काशी को अपना अंतिम ठिकाना चुना। यही वह स्थान था, जहाँ उन्हें जीवन की सच्ची शांति मिली।

अंतिम समय तक करते रहे योग और सेवा

128 वर्ष की उम्र में भी बाबा शिवानंद ने योग को नहीं छोड़ा। वह नियमित रूप से आश्रम की तीसरी मंजिल तक सीढ़ियों से बिना सहारे के आते-जाते थे। अंतिम सांस तक वे संयम, साधना और सेवा के मंत्र को जीते रहे।

बाबा शिवानंद का जीवन इस बात का उदाहरण है कि संयम, सादगी और योग से न केवल लंबा जीवन जिया जा सकता है, बल्कि जीवन को पूरी तरह से जिया भी जा सकता है। आज जब उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया, उनकी शिक्षाएं और प्रेरणा अमर हो गई हैं। काशी नगरी उन्हें सदा याद रखेगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ