शुभम द्विवेदी ने सीने पर खाई आतंकियों की पहली गोली! पत्नी ऐशन्या ने DM Kanpur से की भावुक अपील - ‘मिले शहीद का दर्जा’


कानपुर: आतंकियों की गोली से शहीद हुए शुभम द्विवेदी को पत्नी ऐशन्या ने 'शहीद' का दर्जा दिलाने की मांग की, DM को सौंपा ज्ञापन।

शुभम द्विवेदी के बलिदान को मिले शहीद का दर्जा! पत्नी ऐशन्या ने DM से लगाई गुहार, छलका दर्द

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले शुभम द्विवेदी को लेकर अब पूरे कानपुर में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। सोमवार को शुभम की पत्नी ऐशन्या द्विवेदी और परिवारजन जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह से मिले और एक भावुक ज्ञापन सौंपकर शुभम को शहीद का दर्जा देने की मांग उठाई।

आतंकियों से भिड़े शुभम ने सीने पर खाई पहली गोली, बचाई कई जिंदगियां

परिजनों का कहना है कि शुभम ने अदम्य साहस दिखाते हुए आतंकियों का मुकाबला किया और पहली गोली अपने सीने पर झेली। इसकी वजह से कई पर्यटकों को जान बचाने का मौका मिला। इस अद्वितीय बलिदान को देखते हुए परिवार और शुभचिंतकों ने सरकार से शुभम को शहीद का दर्जा देने की पुरजोर अपील की है।

पत्नी ऐशन्या की आंखों से छलके आंसू, बोलीं- "मेरे पति ने सीना तानकर धर्म निभाया"

जिलाधिकारी को दिए गए ज्ञापन में शुभम की पत्नी ऐशन्या ने भावुक होते हुए कहा, “22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में मेरे पति ने सीना तानकर आतंकियों का सामना किया। उन्होंने न सिर्फ अपनी जान दी, बल्कि कई अनमोल जिंदगियों को भी बचाया। सरकार को उनके बलिदान का सम्मान करते हुए शहीद का दर्जा देना चाहिए।”

पिता संजय द्विवेदी बोले- "मेरा बेटा अमर हो गया, अब सरकार करे सम्मान"

शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने भी भावुक स्वर में कहा कि बेटा तो अब दुनिया में नहीं रहा लेकिन वह देश के लिए अमर हो गया। "हमारा एक ही निवेदन है कि सरकार शुभम के बलिदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दे और उन्हें आधिकारिक रूप से शहीद घोषित करे।"

जिलाधिकारी ने दिलाया भरोसा, शासन तक पहुंचेगी मांग

डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने परिजनों को पूरा आश्वासन दिया कि शुभम को शहीद का दर्जा दिलाने की उनकी मांग को शासन-प्रशासन के समक्ष मजबूती से रखा जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

जानिए क्या हुआ था पहलगाम में- आतंकियों ने धर्म पूछा, फिर दाग दी गोली

बताते चलें कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने एक बड़ा हमला किया था। शुभम द्विवेदी उन निर्दोष लोगों में शामिल थे जिन्हें आतंकियों ने निशाना बनाया। आतंकियों ने शुभम से पहले उसका धर्म पूछा और कलमा पढ़ने को कहा। शुभम ने सीना तानते हुए साहस का परिचय दिया और आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी।

शुभम के इस साहसिक बलिदान ने न सिर्फ पूरे देश को गर्व से भर दिया है, बल्कि शहीदों की श्रेणी में एक और नाम जोड़ने की मांग को भी मजबूती दी है। कानपुर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में शुभम को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए भावनाओं का ज्वार उठ रहा है।

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