हर साल की तरह इस वर्ष 25 क्विंटल भूसा गौशाला में किया दान, डॉक्टर चौहान के नेक काम ने जीता सबका दिल



डॉ आर बी चौहान ने जौनपुर गोशाला में 25 क्विंटल भूसा दान कर दिखाया बड़ा दिल, गांव-गांव में हो रही तारीफ।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट



गोशाला में 25 क्विंटल भूसा दान, डॉक्टर चौहान का हर साल का संकल्प बना मिसाल
जौनपुर के मछलीशहर क्षेत्र के मीरपुर चौराहे पर स्थित कमला हास्पिटल के डायरेक्टर डॉ आर बी चौहान एक बार फिर अपने सामाजिक योगदान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने इस बार महर्षि बाबा अयोध्या दास गोशाला में पूरे 25 क्विंटल भूसा दान कर मानवता और पशुप्रेम की नई मिसाल पेश की है।

गांव में तारीफों का तूफान, प्रमाण पत्र से हुआ सम्मानित
इस अवसर पर ग्राम सभा सराय यूसुफ के प्रधान मृत्युंजय बिन्द ने डॉक्टर चौहान को एक प्रशंसा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। गांव में यह चर्चा का विषय बन गया है कि डॉक्टर साहब हर साल न केवल दान करते हैं बल्कि खुद गोशाला पहुंचकर गोसेवा में भी भाग लेते हैं।

भूसा दान कार्यक्रम में जुटी गणमान्य उपस्थिति
इस नेक कार्य के दौरान मौजूद रहे कमला हास्पिटल के मैनेजर संजय कुमार सिंह, अतुल सरोज, सुनील चौहान, गोपालक सुरेश यादव, दिनेश यादव और रमेश यादव, जिन्होंने डॉक्टर चौहान की इस पहल को खुले दिल से सराहा और गोशाला में इसे ऐतिहासिक क्षण बताया।

हर साल निभाते हैं वादा, समाज सेवा में हैं आगे
डॉ आर बी चौहान केवल एक चिकित्सक ही नहीं बल्कि समाजसेवा में भी पूरी निष्ठा से जुटे रहते हैं। हर साल गोशाला में भूसा दान करना उनकी परंपरा बन चुकी है, जो अब आदर्श बन रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर हर व्यक्ति इसी तरह से समाज के लिए सोचने लगे, तो गांवों में कोई संकट ही न बचे।

गांव में बज रहा है नाम, सोशल मीडिया पर वायरल
डॉक्टर चौहान का ये कार्य सिर्फ गोशाला तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है। लोग उन्हें ‘भूसा बाबा’ और ‘गौसेवक डॉक्टर’ जैसे नामों से बुला रहे हैं।

गोशाला प्रबंधन ने दी खुलकर सराहना
महर्षि बाबा अयोध्या दास गोशाला प्रबंधन ने डॉक्टर साहब को धन्यवाद देते हुए कहा कि जिस प्रकार वे वर्षों से पशुधन के लिए समर्पित रहते हैं, वह आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।

प्रेरणा है यह कार्य
डॉ आर बी चौहान का 25 क्विंटल भूसे का यह दान कोई छोटी बात नहीं। आज जब लोग व्यक्तिगत लाभ में लगे रहते हैं, ऐसे में समर्पण की यह भावना गांव-गांव तक प्रेरणा बनकर पहुंच रही है।

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