क्यों धाराप्रिय है भगवान शिव? श्री रामकथा महोत्सव के तीसरे दिन जुटी भारी भीड़, दूर-दूर से आ रहे भक्तगण



रिपोर्ट: इंद्रेश तिवारी

मछली शहर(जौनपुर).....भगवान शिव अवढरदानी है।वे भक्तो की पूजा से जल्द ही प्रसन्न हो जाते है।सुंदर मंथन में निकले जहर को श्री राम का नाम लेकर पी जाने वाले भोले बाबा को शीतलता प्रदान करने के लिए भक्तो को शिवलिंग पर धारा के साथ जलाभिषेक,दुग्धाभिषेक आदि करना चाहिए।धारा के साथ अर्पण किए गए जल से भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते है। इसीलिए भगवान आशुतोष को धारा प्रिय भी कहा जाता है।
उक्त बातें क्षेत्र के प्रसिद्ध दियावा महादेव मंदिर धाम में श्री रामकथा महोत्सव के तीसरे दिन श्री धाम अयोध्या से पधारे आचार्य मनीष शरण महराज जी ने अपने मुखारबिंदु से कही।
उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि भगवान शिव भस्मासुर के थोड़ी सी ही पूजा में अत्यंत प्रसन्न होकर उसे वरदान दे दिया था, जिससे देवताओं को भी परेशान होना पड़ा।कथा आयोजक श्री रामकथा सेवा  समिति के के कार्यकर्ता इंद्रेश तिवारी ने बताया कि कथा के तीसरे दिन श्री रामकथा महोत्सव में भारी भीड़ जुटी रही। लोगो ने श्री आचार्य मुख से कथा का रसपान किया। इस अवसर पर क्षेत्र के दूर दूर से भक्तगण आकर कथा श्रवण कर रहे है। आए हुए अधिकतर भक्तजनों को सुंदरकांड पाठ की पुस्तक प्रदान कर महराज जी आशीर्वाद दे रहे है।

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