जिस पालतू कुत्ते पर जान लुटाती रहीं रिटायर्ड टीचर, उसी पिटबुल डॉग ने नोचकर मार डाला



कुत्‍ते आमतौर पर वफादार माने जाते हैं लेकिन लखनऊ में बुजुर्ग सुशीला को जिस तरह एक पालतू कुत्‍ते ने मौत के घाट उतार दिया उससे बंगाली टोले में हर कोई हैरान है। बुजुर्ग सुशीला जिस पालतू कुत्ते जान लुटाती थीं, बच्चों की तरह ख्याल रखती थीं, रोज उसे टहलाती और खाना देती थीं, उसी ने उन्हें निवाला बना लिया। घटना से हैरान पड़ोसी भी बस यही कहते रहे कि आखिर वह कैसे इतना ख्याल रखने वाली सुशीला पर हमलावर हो गया।

पड़ोसी बताते हैं कि सुशीला जिस तरह से पिटबुल का ध्यान रखती थी, उसे कोई नहीं रख सकता। अमित के मुताबिक बच्चों की तरह दोनों पालतू कुत्तों को दुलराती रहती थी। हर कोई यही चर्चा कर रहा था कि पिटबुल इतना हमलावर कैसे हो गया।

एसी कमरे में रहते हैं दोनों श्वान
अमित ने बताया कि घर के पिटबुल और लैब्राडोर नस्ल के कुत्ते एसी कमरे में रहते हैं। उनके लिये अलग से एसी लगवाया था। पिटबुल तो पूरे समय एसी कमरे में ही रहता था, बस छत पर जाते समय ही बिना एसी के रहता था।

बीमार होने पर परेशान हो जाती थी
पड़ोसियों ने बताया कि दोनों श्वानों को कुछ हो जाता था तो वह काफी परेशान हो जाती थी। बेटे से तुरन्त डॉक्टर को दिखाने की जिद करने लगती थी। समय से खाना खिलाना, टहलाना और उससे खेलना दिनचर्या का हिस्सा था। सुशीला को गम्भीर रूप से घायल करने के बाद जब अमित घर पहुंचा तो पिटबुल कोने में दुबका मिला। वह अमित के पास तो गया लेकिन शांत रहा। वह ऐसा व्यवहार कर रहा था, जैसे गलती हो गई है...। मां को अस्पताल ले जाने से पहले दोनों श्वानों को छत पर बांध दिया गया था।

सुशीला पर जब पिटबुल ने हमला किया तो उस समय वहां सिर्फ नौकरानी ही थी। अमित सूचना मिलते ही पहुंचा। वह पड़ोसियों की मदद से मां को बलरामपुर अस्पताल ले गया जहां से उन्हें ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया। ट्रॉमा में डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई।

शहर में तमाम लोग कुत्ता पाले हुए हैं। लेकिन इनकी देख रेख में सावधानी नहीं बरतते। इसकी वजह से वह कभी कभी खुद ही कुत्ते का शिकार बन जाते हैं। कभी बच्चों को कुत्ते काट लेते हैं तो कभी परिवार के अन्य सदस्यों को। नगर निगम के संयुक्त निदेश पशु कल्याण व विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अरविन्द राव कुत्ता पालने वालों के लिए कुछ सुझाव देते हैं। इन पर अमल कर कुत्तों से बचा जा सकता है।

● अगर आपने घर में कुत्ता पाल रखा है तो उसको प्रतिवर्ष नाइन इन वन टीका लगवाएं। इस टीके में 9 तरह की बीमारियों को रोकने की क्षमता होती है।

● कुत्ते के स्वभाव में कुछ परिवर्तन हो तो विशेषज्ञ पशु चिकित्सक को दिखाएं

● अगर कुत्ता अपनी रुचि का खाना खा रहा हो तो उस समय उसे बिल्कुल ना छेड़े

● कुत्ते को मांसाहारी भोजन देने से बचें। हमेशा दोस्ताना व्यवहार रखें

● उसके पास कभी भी डंडा या अन्य चोट लगने वाली चीज लेकर ना जाएं, इससे कुत्ते हिंसक हो जाते हैं

● कुत्ते को घर में बांधकर ना रखें, उसे खुला रखें

● पालतू कुत्ते को घर में घूमने की आजादी दें

● समय-समय पर विशेषज्ञ पशु चिकित्सक से उसकी जांच कराते रहें

● खाना खाते समय या खुद पर हमला होने की स्थिति में कुत्ते हिंसक होते हैं। इसलिए उनके भोजन के समय दूरी बनाकर रखें

लाइसेंस अवश्य बनवाएं कुत्ते का

अगर आपने घर में कुत्ता पाल रखा है तो उसके लिए नगर निगम से लाइसेंस बनवाना जरूरी है। बिना लाइसेंस के अगर घर में कुत्ता रखा है तो यह अवैध माना जाता है। नगर निगम कुत्ते को जब्त कर सकता है। लाइसेंस न होने पर नगर निगम 5000 जुर्माना भी लगाता है। अगर पालतू कुत्ते ने किसी बाहरी आदमी को काटा है तो इसमें गंभीर धाराओं में केस भी दर्ज होता है।

एक लाख का पिटबुल फैमिली डाग नहीं 
विदेशी कुत्तों का प्रशिक्षण और बिक्री करने वाले बड़े कारोबारी के मुताबिक पिटबुल की कीमत एक लाख होती है। यह वन मैन डॉग कहलाता है। किसी एक की ही बात सुनता है, उसे मालिक मानता है। यही वजह है कि इसे फैमिली डॉग नहीं माना जाता है।

कुत्ते के काटने पर फौरन दें प्राथमिक उपचार
कुत्ता काटने पर रैबीज भी हो सकता है। समय पर व्यक्ति को प्राथमिक इलाज मिल जाए तो काफी हद तक स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है। बलरामपुर अस्पताल में डॉ. बिष्णु देव के मुताबिक आवारा कुत्ते का हमला, खरोंच मारने या काट लेते हैं। कुत्ते के काटने पर तुरंत प्राथमिक उपचार करने की जरूरत होती है। वरना संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। कुत्ते के काटने पर प्राथमिक इलाज से कई तरह की समस्याओं को रोका जा सकता है।

कुत्ता काटने पर ये उपाय करें
● घाव को साबुन और बहते पानी से अच्छी तरह से धोएं।

● कुत्ते के काटने से स्किन छिल गई है तो संक्रमण हो सकता है।

● कुत्ते के काटने से घाव गहरा हो जाए तो नसों को नुकसान संभव।

● खून बहने से रोकने के लिए घाव या चोट के पास तौलिया लगाएं।

● संक्रमण संकेत लालिमा, सूजन, दर्द और बुखार पर सतर्क रहें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ