कानपुर हिंसा: संयोग या प्रयोग? राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बीच कानपुर में पत्थरबाजी और बमबाजी, रणक्षेत्र में बदली सड़कें



कानपुर शहर में दो समुदायों के बीच बवाल हो गया. दोनों पक्ष आमने सामने आ गए. पत्थरबाजी, बमबाजी और लाठीचार्ज से सड़कें रणक्षेत्र में बदल गईं. कथित तौर पर भाजपा नेता नुपुर शर्मा के एक बयान को लेकर हुई हिंसा ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
  
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के आने का कार्यक्रम पहले से तय था तो आज ही के दिन बंद का आह्वान क्यों किया गया? कई मस्जिदों में भड़काऊ तकरीरों की भी सूचना है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह पूर्व नियोजित घटना है? जुलूस कैसे निकला और हिंसा का इंतजाम कैसे हुआ? इसको लेकर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों पर भी सवाल उठ रहा हैं.

सूचना के मुताबिक- पेट्रोल बम चले, फायरिंग भी हुई, अब तक 6 लोग घायल, भर्ती कराए गए: मुकेश बाथम, संजय शुक्ला, उत्तम गौड़, मंजीत यादव, राहुल त्रिवेदी, अमर बाथम.

मुस्लिम बहुल इलाकों में था तनाव: नुपुर शर्मा की ओर से पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए कथित बयान को लेकर मुस्लिम बहुल इलाकों में कारोबार पूरी तरह बंद रहा.
  
जोहर फैंस एसोसिएशन और अन्य मुस्लिम तंजीमों ने शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय से कारोबार बंद रखने की अपील की थी. इसका व्यापक असर देखने को मिला. कहीं आंशिक तो कहीं पूर्ण बंदी दिखाई दी.

अनुमति के बावजूद सड़कों पर निकला जुलूस, आखिर कहां से आए पत्थर?: पुलिस सुरक्षा के बीच जुमे की नमाज अदा की गई. बताया जा रहा है कि जुमे की नमाज के दौरान ज्यादातर मस्जिदों में हुई तकरीरों में कहा गया कि वे मोहम्मद साहब पर की गई किसी भी अमर्यादित टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे. पुलिस ने किसी भी क्षेत्र में लोगों को नमाज के बाद प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी. बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर निकल आए. 

फिलहाल कानपुर के CP विजय मीणा का दावा है कि हालात सामान्य है, अब तक 15-16 लोगों को हिरासत में लिया गया है, वहीं दो लोग घायल है.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ