कानपुर पुलिस और खुफिया एजेंसियां बुरी तरह गच्चा खा गईं। रात में बंदी का ऐलान करने वालों ने पुलिस के साथ बैठक में कहा था कि बंदी नहीं होगी। इससे पुलिस निश्चिंत हो गई उधर, सुबह से ही बंदी व लोगों को भड़काने का सिलसिला शुरू हो गया।
नई सड़क पर हुए बवाल में पुलिस की चूक और सूचना पर ठीक से काम न करना सबसे बड़ी लापरवाही रही। तीन दिन पहले से बाजार बंदी को लेकर लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा था। पर्चे बांटे जा रहे थे। पुलिस को बंदी की जानकारी थी मगर इसकी आड़ में बवाल की योजना बनाई जा रही थी। एलआईयू भी इनपुट जुटाने में फेल हो गई।
जो पर्चे बांटे गए उसमें ऊपर गुलामाने मुस्तफा, कानपुर से शुरुआत हुई। फिर लिखा गया कि नामूस-ओ- रिसालत की तौहीन के खिलाफ तीन जून को मुसलमानों से कारोबार बंद रखने की अपील। खामोश एहतिजाज साथ ही उसमें नोट भी लिखा है कि किसी से जबरन दुकानें नहीं बंद कराई जाएंगी। गैर मजहबी भाइयों पर कोई दवाब नहीं बनाया जाएगा। बंदी में कोई जुलूस व धरना प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। अपीलकर्ता जौहर फैंस एसोसिएशन।
इंस्पेक्टर सीसामऊ कैलाश दुबे, सिपाही विवेक कुमार, सिविल डिफेंस डिप्टी डिवीजनल वार्डन नरेश कुमार भगतानी के अलावा मुकेश, मंजीत यादव, राहुल त्रिवेदी, अमर बाथम, संजय शुक्ला, आशीष, अनिल गौड़, मुकेश देवगौड़ा, सौरभ गुप्ता, शिवम, आदर्श, पुत्तल, कैलाश आदि।


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