जब कोई बीमार होता है तो डॉक्टर तरह-तरह के टेस्ट कराने को कहते हैं। ताकि रोग और उसके कारण का पता लगाया जा सके। वस्तुतः यह प्रत्येक रोग में अनिवार्य नहीं होता है। कई बार चिकित्सा से अधिक व्यय तो इन परीक्षण को कराने में ही हो जाता है।
कई बार रिपोर्ट्स सही भी नहीं होती हैं या रिपोर्ट्स नॉर्मल आती हैं, "लेकिन उस व्यक्ति को तकलीफ बनी रहती है।" कई बार दो अलग-अलग लैब की रिपोर्ट भी अलग-अलग आ जाती हैं। परिणाम ये निकलता है कि रोगी के पास रिपोर्ट्स की ढेर सारी फाइल एकत्रित हो जाती हैं, और बीमारी वहीं के वहीं बनी रहती है।
हर आने वाले रोग या शरीर में होने वाले परिवर्तन को वो स्वयं बता देता है लेकिन हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं।
अगर हम अपने शरीर के इन संकेतों को वक्त रहते समझ जाएं, तो अनेक रोगों का सही समय पर उपचार करा सकते हैं।
◆ जीभ पर सफेद या भूरे रंग का मैल जमना पेट की खराबी को बताता है।
◆ निमोनिया, प्लूरिसी आदि रोग में नाक के नथुने तेजी से फड़कते हैं।
◆ अधिक थकावट या पुराने कब्ज में आखों के नीचे कालापन आ जाता है।
◆ कमजोरी, खून की कमी, ल्यूकोरिया (श्वेत-प्रदर) आदि में आंखों के चारों तरफ कालापन आ जाता है।
किडनी के कार्य में रुकावट आने पर आंखों के नीचे सूजन आ जाती है।
◆ बुखार आने पर होठों के कोने पर सफेद छाले हो जाते हैं।
◆ पीरियड्स कम आने पर गालों पर झाइयां हो जाती हैं।
◆ फेफड़ों (lungs) में इन्फेक्शन होने पर गाल लाल हो जाते हैं।
◆ टायफाइड में शाम को शरीर का तापमान एक डिग्री बढ़ जाता है।
◆ पेट में कीड़े होने पर बच्चे सोते समय दांत किटकिटाते हैं या सोते समय बिस्तर पर यूरिन कर देते हैं।
◆ पेट में कीड़े होने पर बच्चों को नाक और मलद्वार में खुजली होती है।
◆ तिल्ली बढ़ने पर जीभ का रंग सफेद हो जाता है।
▪️ आंतों और पेट के रोग में जीभ पर छाले या घाव हो जाते हैं।
◆ पेट में कीड़े होने पर चेहरे पर हल्के सफेद रंग के धब्बे हो जाते हैं।
◆ लो ब्लडप्रेशर और खून की कमी होने पर आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है।
◆ महिलाओं में यूट्रस (बच्चेदानी) में रोग होने पर हाथ की उंगलियों के पीछे कालापन आ जाता है।
◆ अधिक वीर्यनाश से गाल पिचक जाते है।
◆ पेट के रोग या किसी लंबी बीमारी में होंठ फटने लगते हैं।
◆ हाइपोथायरॉइडिज्म (थाइरॉइड ग्लैंड का हार्मोन कम निकलना) में गले में सूजन आ जाती है।
◆ यदि आप बड़ी बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपने शरीर के छोटे से छोटे परिवर्तन को भी अनदेखा न करें।
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