लखनऊ : आखिर कब सार्वजनिक करेंगें सिटी मोन्टेसरी स्कूल संस्थापकों के परिवारीजन अपनी देश विदेश की चल-अचल संपत्तियां? : एक्टिविस्ट संजय ने उठाया सवाल



लखनऊ/ 31 जुलाई 2021

गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज लखनऊ के सिटी मोन्टेसरी स्कूल ( सीएमएस ) की 17 शाखाएं संचालित हैं जिनमें 12वीं तक करीब 55 हजार छात्र-छात्राएं के पढने की बात बताई जाती है. प्रायः सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के संस्थापक डा. जगदीश गांधी व उनकी पत्नी डॉ भारती गांधी अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति की घोषणा करके अपने जीवन में नितांत ईमानदार होने के बड़े-बड़े दावे करते हैं और  मीडिया के माध्यम से समाचारों का प्रकाशन कराकर अच्छी खासी लोकप्रियता भी हासिल करते रहे हैं.

लखनऊ के एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने आज एक प्रेसवार्ता के माध्यम से कहा है कि जगदीश गाँधी और भारती गाँधी की यह घोषणाएं तब तक  महज सस्ती लोकप्रियता पाने के हथकंडे मानी जायेंगी जब तक वे अपने ब्लड रिलेशन के सभी जीवित परिवारीजनों की देश-विदेश की सभी चल व अचल संपत्तियों की घोषणा को सार्वजनिक नहीं कर देते हैं. संजय ने जगदीश गाँधी और भारती गांधी से मीडिया के मार्फत खुली मांग की है कि यदि वे अपने जीवन में वास्तव में ईमानदार रहे हैं तो वे अपने ब्लड रिलेशन के सभी जीवित परिवारीजनों की देश-विदेश की चल व अचल संपत्तियों की घोषणा को सार्वजनिक करने की उनकी चुनौती को स्वीकार करें ताकि वास्तव में यह सिद्ध हो सके कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल का साम्राज्य खडा करने के दौरान उन्होंने या उनके परिवारीजनों ने कोई निजी लाभ नहीं कमाया है.
 
संजय ने ख़ास तौर पर सिटी मोन्टेसरी स्कूल की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक प्रो. गीता गाँधी किंगडम तथा सिटी मोन्टेसरी स्कूल के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर रोशन गाँधी को अपने-अपने परिवारों  की देश व विदेश की चल व अचल संपत्ति को जगदीश गाँधी व भारती गाँधी की तर्ज पर सार्वजनिक करने की चुनौती दी है.
 
देखना दिलचस्प होगा कि संजय की चुनौती के बाद प्रो. गीता गाँधी किंगडम,रोशन गाँधी तथा  सीएमएस संस्थापकों जगदीश गाँधी व भारती गाँधी के अन्य परिवारीजन जगदीश-गीता के पद-चिन्हों का अनुसरण करते हुए अपने-अपने परिवारों  की देश व विदेश की चल व अचल संपत्ति को सार्वजनिक करके जगदीश गाँधी व भारती गाँधी द्वारा बताये  जा रहे ईमानदारी के उच्च आदर्शों की सत्यता को स्थापित करेंगे या इस मामले में चुप्पी साधकर जगदीश गाँधी व भारती गाँधी द्वारा बताये  जा रहे ईमानदारी के उच्च आदर्शों का  महज कागजी कार्यवाही तक सीमित होने का कड़वा सच  सामने लायेंगे.

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