बंद कमरे में जलती अंगीठी बनी काल, दम घुटने से यूपी के 5 मजदूरों की दर्दनाक मौत… कुरुक्षेत्र के होटल में खौफनाक हादसा



हरियाणा के कुरुक्षेत्र में बंद कमरे में अंगीठी जलाने से यूपी के 5 मजदूरों की दम घुटकर मौत, होटल प्रबंधन पर लापरवाही के सवाल


कुरुक्षेत्र होटल बना काल का कमरा: पेंटिंग करने आए 5 मजदूरों की एक रात में बुझ गई जिंदगी

हरियाणा के पवित्र तीर्थ स्थल कुरुक्षेत्र में मंगलवार की रात एक ऐसा खौफनाक हादसा हुआ, जिसने मजदूरों की जिंदगी की नाजुक हकीकत को फिर उजागर कर दिया। उत्तर प्रदेश से रोज़ी-रोटी के लिए आए पांच मजदूरों की उस वक्त मौत हो गई, जब वे थककर एक होटल-रिजॉर्ट के कमरे में आराम कर रहे थे। ठंड से बचने के लिए उन्होंने अंगीठी जलाई थी, लेकिन यह अंगीठी ही उनकी मौत की वजह बन गई।

इन मजदूरों की मौत किसी मशीन से नहीं, किसी अपराध से नहीं बल्कि अदृश्य लेकिन जानलेवा कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से हुई। गैस जो कमरे में जली अंगीठी से निकल रही थी और धीरे-धीरे कमरे की हवा को जहरीली बना रही थी। बंद कमरे में कोई वेंटिलेशन नहीं था, और जब तक किसी को कुछ समझ आता, पांचों की सांसें थम चुकी थीं।

कैसे हुआ हादसा: मजदूरों की रोज़मर्रा की जिंदगी पर भारी पड़ी एक सर्द रात

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश से आए ये पांच मजदूर कुरुक्षेत्र के एक निजी होटल-रिजॉर्ट में पेंटिंग का कार्य कर रहे थे। दिनभर की मेहनत के बाद सभी ने रात में होटल के उसी कमरे में विश्राम किया, जहां दिनभर काम हुआ था। सर्दी से राहत पाने के लिए कोयले की एक अंगीठी जलाई गई। लेकिन यह सामान्य से लगने वाला फैसला जानलेवा साबित हुआ।

कोयले से जलती अंगीठी से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती रही। कमरे में खिड़की या कोई वेंटिलेशन नहीं था, जिससे गैस बाहर नहीं निकल पाई। मजदूर धीरे-धीरे गैस के संपर्क में आते गए और उन्हें यह अहसास तक नहीं हुआ कि उनकी आखिरी नींद कब शुरू हुई। सुबह जब काफी समय तक कोई भी मजदूर बाहर नहीं आया, तो होटल स्टाफ को शक हुआ। उन्होंने जब दरवाजा खोला तो वहां का मंजर देखकर सभी दंग रह गए।

मौके पर पहुंची पुलिस, मिली जली अंगीठी और दमघोंटू सन्नाटा

सूचना पाकर पुलिस और स्थानीय प्रशासन तत्काल मौके पर पहुंचा। थानेसर थाना प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि कमरे में सभी मजदूर मृत अवस्था में मिले। जांच में पाया गया कि कमरे के अंदर जली हुई अंगीठी मौजूद थी, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलने की आशंका जताई जा रही है। मौके पर मौजूद हालातों को देखते हुए प्रथम दृष्टया मामला दम घुटने से मौत का प्रतीत होता है।

पुलिस ने सभी शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही होटल मैनेजमेंट से पूछताछ की जा रही है कि आखिर बंद कमरे में अंगीठी जलाने की अनुमति क्यों दी गई? क्या होटल ने मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम किए थे? क्या कमरे में वेंटिलेशन की कोई सुविधा मौजूद थी?

मृत मजदूरों की पहचान और यूपी से जुड़े परिवारों में मचा कोहराम

फिलहाल मृत मजदूरों की पहचान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से हुई है। इनमें कुछ कुशीनगर, गाजीपुर और बहराइच जैसे जिलों के रहने वाले बताए जा रहे हैं। इन सभी का जीवन बहुत ही साधारण था। वे रोज कमाकर अपने परिवारों का पेट पालते थे। अब जब उनकी लाशें घर लौटेंगी तो मां-बाप, पत्नी, बच्चे और छोटे-छोटे भाई-बहन सदमे में होंगे।

पुलिस ने संबंधित थानों और जिलों को सूचना भेज दी है। परिजनों से संपर्क किया जा रहा है और शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपे जाने की प्रक्रिया भी चल रही है।

होटल प्रबंधन पर उठे सवाल, क्या था कोई सेफ्टी प्रोटोकॉल?

इस घटना के बाद होटल-रिजॉर्ट की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या होटल प्रबंधन को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना खतरनाक हो सकता है? क्या मजदूरों को ऐसी चेतावनी दी गई थी? क्या होटल में सेफ्टी अलार्म या गैस डिटेक्शन सिस्टम था?

वहीं श्रम विभाग और जिला प्रशासन से भी यह अपेक्षा की जा रही है कि वे इस हादसे की गहनता से जांच कर जिम्मेदारी तय करें। क्या मजदूरों को रहने के लिए सुरक्षित आवासीय व्यवस्था दी गई थी? क्या काम करने से पहले उन्हें किसी तरह की सुरक्षा ट्रेनिंग दी गई थी? यह सवाल अब केवल प्रशासन ही नहीं, समाज से भी पूछे जा रहे हैं।

स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों की अनदेखी बनी मौत की वजह

मजदूरों की इस दर्दनाक मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत जैसे देश में मजदूर वर्ग की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी लचर है। होटल हो या निर्माण स्थल, अधिकतर जगहों पर मजदूरों को केवल काम करने के लिए रखा जाता है, लेकिन उनकी नींद, भोजन, सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में क्या करना है—इन सब पर कोई ध्यान नहीं देता।

कार्बन मोनोऑक्साइड एक ऐसी गैस है जो रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होती है। यह गैस शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित कर देती है और चुपचाप मौत का कारण बनती है। इसके प्रभाव में व्यक्ति को थकान, सिरदर्द, उलझन, और अंततः बेहोशी व मृत्यु हो सकती है। दुख की बात यह है कि सामान्य लोग और मजदूर वर्ग इस गैस की गंभीरता को नहीं समझते और बिना जानकारी के अंगीठी जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करते हैं।

मृत मजदूरों के लिए सरकारी मुआवजे की मांग तेज

घटना के बाद मजदूर संगठनों और स्थानीय लोगों ने मांग उठाई है कि मृतकों के परिजनों को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाए। साथ ही जिन लोगों की लापरवाही से यह हादसा हुआ, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

पुलिस प्रशासन ने कहा है कि अगर जांच में होटल प्रबंधन की कोई लापरवाही साबित होती है तो संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्थानीय विधायक और कुछ सामाजिक संगठनों ने भी पीड़ित परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

सबक बन सके ऐसी घटनाएं, ज़रूरी है जागरूकता और तकनीकी उपाय

यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। खासकर ठंड के मौसम में जब अंगीठी, हीटर, गैस स्टोव आदि का उपयोग बढ़ जाता है, तब ऐसे हादसों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। ज़रूरत है जनजागरूकता की, जहां लोग समझें कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना मौत को बुलावा देना है।

इसके अलावा होटलों, गेस्ट हाउसों और निर्माण स्थलों पर गैस डिटेक्टर, ऑक्सीजन सेंसर और वेंटिलेशन सिस्टम जैसी तकनीकों का अनिवार्य इस्तेमाल जरूरी हो गया है। सरकारी स्तर पर भी श्रम विभाग और नगर निगमों को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वे मजदूरों के रहने के स्थानों का नियमित निरीक्षण करें और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करें।

उत्तर प्रदेश से आए ये पांच मजदूर एक सामान्य दिन की तरह काम पर गए थे। उन्हें क्या पता था कि वही होटल उनका श्मशान बन जाएगा। अंगीठी जो उन्हें सुकून देने वाली थी, वही उनकी सांसें छीन लेगी। कुरुक्षेत्र की इस घटना ने सिर्फ पांच जिंदगियों को खत्म नहीं किया, बल्कि समाज और प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह हादसा किसी भी शहर, किसी भी घर या किसी भी मजदूर के साथ हो सकता है। जरूरी है समय रहते जागना, समझना और सुरक्षा को प्राथमिकता देना। क्योंकि जब तक व्यवस्था नहीं बदलेगी, तब तक ऐसी कहानियां बार-बार दोहराई जाती रहेंगी… और फिर किसी का बेटा, पति, भाई या पिता इस अनदेखी का शिकार बनता रहेगा।

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