Delhi Blast: न गड्ढे, न कीलें, न जले चेहरे… लाल किले के पास धमाके में सामने आया ‘नया विस्फोटक पैटर्न’



लाल किले के पास दिल्ली ब्लास्ट में न गड्ढा हुआ, न कीलें मिलीं, न जले शरीर… जांच में सामने आया नया आतंकी पैटर्न


दिल्ली के दिल में धमाका, दहशत की रात

दिल्ली की हवा में रविवार शाम अचानक गूंजा धमाका, जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया. लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास शाम करीब 7 बजे एक चलती कार में भीषण विस्फोट हुआ. धमाके की गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी. जैसे ही लोगों ने आवाज सुनी, मौके पर भगदड़ मच गई. चारों तरफ धुआं और आग की लपटें नजर आने लगीं. चश्मदीदों का कहना है कि कार के टुकड़े 200 मीटर तक उड़ गए, और कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका जलती गाड़ियों और घायल लोगों की चीखों से भर गया.

गड्ढा नहीं, कील नहीं, जलन नहीं: धमाके का अजीब पैटर्न

फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया तो उन्हें कुछ बेहद चौंकाने वाली बातें मिलीं. सामान्य बम धमाकों की तरह यहां कोई गड्ढा नहीं बना. न किसी के शरीर में कीलें, तार या मेटल के टुकड़े धंसे मिले. यहां तक कि घायल लोगों के चेहरे या शरीर पर जलन के निशान भी नहीं हैं. इससे स्पष्ट है कि धमाके में किसी नए प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह या तो उच्च तकनीक से बना 'लो-रेडियस हाई इम्पैक्ट ब्लास्ट' था, या फिर किसी नए ‘केमिकल एक्सप्लोसिव’ का प्रयोग किया गया, जो परंपरागत बारूद या कील-बम से अलग है.

लाल किले की दीवारों के साए में हड़कंप

दिल्ली का लाल किला, जो देश की अस्मिता का प्रतीक है, उसके ठीक पास हुआ यह धमाका सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सुरक्षा तंत्र की बड़ी चुनौती है. ऐतिहासिक लाल किला मेट्रो स्टेशन और इसके आसपास का इलाका हमेशा सुरक्षा घेरे में रहता है. इसके बावजूद इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर चलती कार में ब्लास्ट हो जाना पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. चश्मदीद मोहम्मद आरिफ ने बताया, “मैं दुकान बंद कर रहा था तभी तेज आवाज आई. लगा भूकंप आया है. जब बाहर निकला तो हर तरफ आग और चीखें थीं.”

कार में सवार थे कई लोग, सबके उड़ गए परखच्चे

दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिस कार में धमाका हुआ, उसमें सिर्फ ड्राइवर नहीं बल्कि कुछ और लोग भी मौजूद थे. ब्लास्ट कार के पिछले हिस्से में हुआ, जिसके बाद पूरी गाड़ी चंद सेकंड में आग के गोले में तब्दील हो गई. घटनास्थल पर फैले टुकड़ों से जांच एजेंसियां गाड़ी का नंबर और चेसिस कोड तलाश रही हैं ताकि वाहन की पहचान हो सके. पुलिस को संदेह है कि गाड़ी या तो चोरी की थी या फिर किसी फर्जी आईडी से खरीदी गई थी.

धमाके का असर 200 मीटर तक, 13 की मौत, 30 घायल

यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि इसका असर 200 मीटर के दायरे तक महसूस किया गया. आसपास की इमारतों के शीशे चटक गए, दुकानों में रखा सामान बिखर गया. मौके पर क्षत-विक्षत शव बिखरे पड़े थे. अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं. घायलों को एलएनजेपी और जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है.

आग की लपटों में झुलसीं कई गाड़ियां

धमाके के तुरंत बाद कार में आग लग गई, जो इतनी तेज़ी से फैली कि आसपास खड़ी तीन अन्य गाड़ियां भी उसकी चपेट में आ गईं. धमाके के 5 मिनट के भीतर ही आग इतनी विकराल हो गई कि लोगों को दूर हटना पड़ा. दिल्ली फायर सर्विस को सूचना मिलते ही दमकल की 15 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं. करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका.

NIA और NSG ने संभाली कमान

धमाके की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) को जांच में शामिल कर लिया है. फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से कई सैंपल उठाए हैं, जिनमें विस्फोटक के अवशेष, कार के धातु के टुकड़े और कुछ अज्ञात रासायनिक पदार्थ शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इसमें TNT या RDX जैसे पारंपरिक विस्फोटक का उपयोग नहीं किया गया. यह किसी उन्नत मिश्रित विस्फोटक का मामला हो सकता है जो सीमित दायरे में अधिकतम क्षति करता है.

CCTV फुटेज से खुलेंगे राज़

इलाके में मौजूद सभी CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है. पुलिस के हाथ कुछ अहम सुराग लगे हैं जिनमें कार के पास कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियां दर्ज हुई हैं. माना जा रहा है कि कार को पार्क करते समय धमाके की टाइमिंग सेट की गई थी. एनएसजी के विशेषज्ञों ने कहा है कि यह ‘रिमोट ट्रिगर’ या ‘ऑटो-इग्निशन टाइमर’ से हुआ विस्फोट हो सकता है.

‘सामान्य धमाका नहीं, एक बड़ी आतंकी साजिश’

दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारियों का कहना है कि यह सामान्य हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित आतंकी हमला प्रतीत होता है. धमाके का पैटर्न, विस्फोटक का स्वभाव और टाइमिंग सभी चीजें एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करती हैं. स्पेशल सेल के अधिकारी फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ कार के पुर्जों और विस्फोटक के अवशेषों की जांच कर रहे हैं.

दिल्ली में हाई अलर्ट, सीमाएं सील

दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. सभी एंट्री पॉइंट्स पर वाहनों की चेकिंग बढ़ा दी गई है. लाल किला और जामा मस्जिद क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. मेट्रो स्टेशनों और बाजारों में सुरक्षा बढ़ाई गई है. एनएसजी कमांडो और बम डिस्पोजल स्क्वॉड हर गली में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं.

पीएम और गृह मंत्री ने ली रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से घटना की पूरी जानकारी मांगी है. गृह मंत्रालय ने एनआईए को जांच की औपचारिक जिम्मेदारी सौंपने का निर्देश दिया है. सुरक्षा एजेंसियों को देशभर में संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने का अलर्ट जारी किया गया है.

आतंक का नया चेहरा: ‘साइलेंट बम’

फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि धमाके का पैटर्न किसी ‘साइलेंट बम’ की तरह है, जो बड़े पैमाने पर विस्फोट करता है लेकिन पारंपरिक लक्षण नहीं छोड़ता. न गड्ढा, न धुआं, न कीलें — सिर्फ एक तेज शॉकवेव जो 200 मीटर तक जानलेवा असर डालती है. यह नई तकनीक पाकिस्तान या अफगानिस्तान में प्रयोग हुए कुछ ‘क्लीन ब्लास्ट डिवाइस’ जैसी प्रतीत हो रही है.

सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें

घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैल गईं — किसी ने इसे आतंकी हमला कहा तो किसी ने गैस सिलेंडर ब्लास्ट बताया. पुलिस ने अपील की है कि बिना पुष्टि के कोई भी खबर साझा न करें. हालांकि, शुरुआती जांच इस बात की पुष्टि करती है कि यह एक योजनाबद्ध विस्फोट था, ना कि गैस या बैटरी फटने का मामला.

एलएनजेपी अस्पताल में चीख-पुकार

घटना के बाद अस्पतालों में दर्द और अफरा-तफरी का माहौल है. घायलों में कई पर्यटक और स्थानीय दुकानदार शामिल हैं. डॉक्टरों ने बताया कि घायलों के शरीर पर धातु के टुकड़े नहीं, बल्कि प्रेशर से हुई गहरी चोटें हैं, जो सामान्य बम धमाकों से अलग हैं.

दिल्ली की रात में डर और सन्नाटा

रविवार की रात दिल्ली के लोगों के लिए सदमे और खौफ की रात बन गई. जहां कभी सैलानी घूमते थे, वहां अब पुलिस की गाड़ियां और पीली टेप लगी हैं. चारों तरफ सिर्फ सवाल हैं — आखिर किसने किया ये धमाका, और क्यों चुना लाल किला जैसा संवेदनशील इलाका?

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