संभल हिंसा स्थल पर नई पुलिस चौकी का उद्घाटन मासूम आयशा ने किया। नारी शक्ति और सुरक्षा व्यवस्था का नया प्रतीक बनी चौकी।
संभल में हिंसा स्थल पर बनी नई पुलिस चौकी
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हिंसा से प्रभावित स्थल पर अब सुरक्षा की नई पहचान खड़ी हो चुकी है। प्रशासन ने जिले में शांति व्यवस्था को मजबूत करने और लोगों में सुरक्षा का भरोसा कायम करने के लिए यहां नई पुलिस चौकी का निर्माण कराया है। इस चौकी का उद्घाटन किसी बड़े नेता या प्रशासनिक अधिकारी ने नहीं बल्कि मासूम बच्ची आयशा ने किया। इस कदम ने समाज में नारी शक्ति के सशक्तिकरण और बेटियों के सम्मान का अनोखा संदेश दिया।
हिंसा की याद और नई शुरुआत
24 नवंबर को संभल में हुए उपद्रव की याद आज भी लोगों को सिहरन पैदा करती है। हिंदू पूरा खेड़ा पक्का बाग चौराहे पर उस दिन उपद्रवियों ने न केवल गोलियां चलाईं बल्कि इलाके को हिंसा की आग में झोंक दिया था। लेकिन वही स्थान अब सुरक्षा का किला बन चुका है। जिस जगह कभी गोलियों की आवाज गूंजी थी, वहां अब पुलिस चौकी की घंटियां गूंज रही हैं। इस चौकी का उद्घाटन बच्ची आयशा द्वारा किया जाना प्रतीकात्मक रूप से समाज में नई शुरुआत और शांति की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक है।
प्रशासन की पहल और 39 नई चौकियां
संभल प्रशासन ने हिंसा के बाद सुरक्षा को और मज़बूत करने के लिए बड़ी योजना बनाई। इसी क्रम में जिले भर में 39 नई पुलिस चौकियां बनाने का निर्णय लिया गया। नखासा थाना क्षेत्र के हिंदू पूरा खेड़ा पक्का बाग चौराहे पर बनी यह चौकी उसी योजना का हिस्सा है। प्रशासन का कहना है कि इन चौकियों से न केवल अपराध पर लगाम लगेगी बल्कि नागरिकों को सुरक्षा का अहसास भी होगा।
उद्घाटन समारोह और नारी शक्ति का संदेश
चौकी उद्घाटन के मौके पर जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। लेकिन इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि रिबन काटने के लिए एक मासूम बच्ची आयशा को आगे किया गया। जब आयशा ने रिबन काटा तो पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट और ‘नारी शक्ति ज़िंदाबाद’ के नारों से गूंज उठा। प्रशासन का कहना है कि आगे भी मेले और कार्यक्रमों के उद्घाटन हमारी बेटियां करेंगी ताकि समाज में यह संदेश जाए कि बेटियां केवल घर की जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि समाज की पहचान भी हैं।
बेटियों की भागीदारी से बढ़ता आत्मविश्वास
इस कदम से समाज में महिलाओं और बेटियों के आत्मविश्वास को नई दिशा मिली है। जिस चौकी का उद्घाटन हुआ वह केवल सुरक्षा का प्रतीक नहीं बल्कि इस बात का भी सबूत है कि अब समाज में बेटियों की भूमिका को सम्मान और महत्व दिया जा रहा है। हिंसा की काली छाया के बीच यह उजाला केवल प्रशासनिक व्यवस्था का हिस्सा नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का संदेश भी है।
सुरक्षा और शांति की प्राथमिकता
पुलिस प्रशासन का मानना है कि नई चौकियों के जरिए न केवल अपराधियों पर निगरानी रखी जाएगी बल्कि लोगों में भरोसा भी बढ़ेगा। खासकर उन इलाकों में जहां पहले हिंसा और उपद्रव का माहौल रहा है, वहां इन चौकियों के जरिए शांति बनाए रखना प्राथमिकता होगी। इस पहल से साफ है कि संभल प्रशासन हिंसा की पुनरावृत्ति रोकने और जिले को सुरक्षित बनाने के लिए हर कदम उठाने को तैयार है।
संभल का बदलता चेहरा
हिंदू पूरा खेड़ा पक्का बाग चौराहा अब केवल हिंसा का प्रतीक नहीं बल्कि नारी शक्ति और सुरक्षा का नया केंद्र बन चुका है। जिस जगह कभी डर का माहौल था, अब वहां लोग आत्मविश्वास के साथ खड़े हैं। बच्ची आयशा द्वारा चौकी का उद्घाटन इस बात का प्रतीक है कि संभल का चेहरा बदल रहा है और यह बदलाव केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरा असर डाल रहा है।
संभल में बनी यह नई पुलिस चौकी केवल एक भवन नहीं बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक बदलाव का प्रतीक है। मासूम आयशा द्वारा इसका उद्घाटन इस बात का प्रमाण है कि समाज में अब नारी शक्ति को सशक्तिकरण और सुरक्षा व्यवस्था का आधार माना जा रहा है। जिले में 39 नई चौकियों की योजना से संभल न केवल सुरक्षित होगा बल्कि यहां के लोग हिंसा की यादों को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत की ओर बढ़ सकेंगे। यह चौकी हिंसा की राख से उठती शांति की मशाल बन चुकी है।


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