मिर्जापुर में अंतरराज्यीय असलहा तस्करी का पर्दाफाश, गिरोह सरगना सुंदरम सहित 6 छात्र गिरफ्तार, कई पिस्टल-कारतूस जब्त।
मिर्जापुर में बड़े नेट: अंतरराज्यीय असलहा तस्करी का भंडाफोड़ और 6 गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में पड़री पुलिस ने एक अंतरराज्यीय हथियार तस्करी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में गिरोह के सरगना के तौर पर पहचाने जा रहे सुंदरम उपाध्याय को भी मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से पिस्टल, तमंचे, कारतूस और बाइक जैसी सामग्री बरामद की है; पूछताछ और जांच जारी है। इस मामले का सार्वजनिक प्रथम खुलासा प्रदेश के स्थानीय मीडिया और वीडियो रिपोर्ट्स के माध्यम से हुआ है, जिनमें बताया गया है कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर सदस्य पढ़ने वाले छात्र हैं जो पहले 'रौब दिखाने' के उद्देश्य से असलहा रखते थे और बाद में इन्हें सप्लाई करना शुरू कर दिया।
गिरोह की वर्किंग — मध्य प्रदेश से सप्लाई, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नेटवर्क
पुलिस के प्रारंभिक दावों के मुताबिक यह गिरोह मध्य प्रदेश की ओर से पिस्टल और तमंचे ला कर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सप्लाई करता था। गिरफ्तारी के बाद मिली जानकारी में यह भी सामने आया कि हथियारों की कीमतों का एक तय पैटर्न था — पिस्टल 30,000 से 50,000 रुपये के बीच और छोटे तमंचे 5,000 से 7,000 रुपये तक बिकते थे, जो स्थानीय बाजार और मांग के हिसाब से अलग-अलग खरीदारों को सौंपे जाते थे। अधिकारी यह भी बता रहे हैं कि हथियारों की शृंखला में मिडिलमैन और स्थानीय संपर्क भी जुड़े थे, जिनके बारे में पूछताछ जारी है ताकि पूरे सप्लाई चेन का भंडाफोड़ किया जा सके।
आरोपी कौन हैं — पढ़ाई करने वाले युवक, उम्र 20-28 वर्ष
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में अधिकांश की उम्र 20 से 28 वर्ष के बीच है और इनमें कुछ इंटर पास, कुछ बीए पास और कुछ बीटेक कर रहे छात्र शामिल हैं। पुलिस ने नाम भी सार्वजनिक किए हैं — गिरोह का नामचीन सरगना सुंदरम उपाध्याय है, जबकि अन्य आरोपियों में अंकित पांडे, आशीष, अभिषेक, मिलन यादव और यश पांडेय के नाम सामने आए हैं। शिकायतों और पुराने मुकदमों की सूची में सुंदरम उपाध्याय के खिलाफ अलग-अलग थानों में दर्ज कई मामले पाए गए। कुछ आरोपियों के खिलाफ पहले से भी आपराधिक मामले दर्ज थे, जबकि कुछ ने जमीन में रंजिश जैसी पारिवारिक या स्थानीय झगड़ों के चलते हथियार खरीदे थे, जो बाद में अवैध बिक्री की ओर पलट गए।
मुठभेड़ और गिरफ्तारी की कहानी — कहां और कैसे पकड़े गए सरगना
पड़री थाना क्षेत्र के उमरिया अयोध्या प्रसाद मोड़ के पास पुलिस और आरोपियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमें गिरोह के सरगना सुंदरम उपाध्याय घायल होकर पकड़ में आया। मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने सुंदरम के कब्जे से पिस्टल, तमंचा, जिंदा कारतूस और खोखा कारतूस बरामद किए। घटना के बाद आसपास के इलाकों में सघन तलाश और दबिशें दी गईं, जिसके चलते गिरोह के अन्य सदस्य भी क्रमशः पकड़े गए। स्थानीय पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ के वक्त न केवल हथियार बरामद हुए बल्कि एक बाइक और कुछ नगद राशि भी मिली, जो अब आने वाली जांच में ट्रांसपोर्ट और वित्तीय लेन-देन के सबूत के रूप में देखे जाएंगे।
पुलिस क्या कह रही है — प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासे और आरोप
सदर सीओ अमर बहादुर ने पुलिस लाइन के मां विंध्यवासिनी सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि यह गिरफ्तारी पड़री पुलिस की सतर्कता और प्राथमिकी सूचना का परिणाम है। सीओ ने कहा कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी 20 से 28 वर्ष के पढ़ने वाले छात्र हैं और ये हथियार पंचायत चुनाव, जमीन विवाद, रंजिश और 'रौब जमाने' जैसे मकसदों से खरीदे जा रहे थे। उन्होंने बताया कि गिरोह की पहचान में मिलने वाली प्रवृत्तियों को देखते हुए अब और भी आरोपियों और संभावित खरीददारों की सूची तैयार की जा रही है और जल्द और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। सीओ ने यह भी बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज मामले हैं और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।
बरामद सामान और उसकी अहमियत — कितने असलहा, कारतूस और सबूत
पुलिस रिपोर्ट अनुसार गिरफ्तार आरोपियों के पास से पांच तरह के अवैध असलहा तथा उनके साथ जुड़ा कुछ कारतूस मिला है। स्थानीय रिपोर्टों और मीडिया वीडियो कवरेज में बताया गया है कि पिस्टल और रिवॉल्वर की संख्या और उनकी हालत, साथ ही संगत खोखा गोलियां, जिंदा कारतूस और परिवहन में इस्तेमाल मोटरसाइकिल जैसे आइटम सतह पर आए हैं। बरामद सामान केवल तात्कालिक खतरे का सबूत नहीं है बल्कि यह बताता है कि हथियारों की सप्लाई और उनको छिपाने का नेटवर्क किस स्तर तक विस्तृत था। पुलिस अब इन हथियारों का जीन-आधारित व forensic परीक्षण, सीरियल नंबर व बाजार कड़ियों से मैच कर उनकी वास्तविक उत्पत्ति और सप्लाई रूट का पता लगाने का काम कर रही है।
स्थानीय कारण और प्रेरणा — क्यों छात्र बने तस्कर?
जांच में यह बात उभर कर आई है कि गिरफ्तार छात्र-युवक शुरू में हथियारों को 'रौब जमाने' और सुरक्षा की भावना के लिए अपने पास रखते थे। समय के साथ वहीं 'रौब' और दबदबा आर्थिक फायदे में बदल गया और कुछ युवकों ने हथियारों की आपूर्ति करना शुरू कर दिया। कुछ मामलों में जमीन विवाद, पंचायत चुनाव और स्थानीय शक्ति संघर्ष कारण बने, जहां लोग दर्ज मुकदमों के डर, दुश्मनी या दबदबे के लिए हथियार खरीदते थे। स्थानीय समाजशास्त्रियों और पुलिस के एक संयुक्त निरीक्षण के मुताबिक युवा वर्ग में नकली बहादुरी और असलहों के पास होने का फैशन, घरेलू झगड़े व सामाजिक अस्मिताओं के संकट ने हथियार तस्करी को बढ़ावा दिया है — इस पहलू पर प्रशासन गहन रणनीति बना रहा है।
आर्थिक लेन-देन और मार्केट रेट्स — हथियारों की कीमतें और खरीदार
स्थानीय एन्काउंटर और मीडिया रिपोर्टों में मिली जानकारी के अनुसार पिस्टल की कीमत 30,000 से 50,000 रुपये के बीच बताई जा रही है, जबकि छोटे तमंचे 5,000 से 7,000 रुपये में बिकते थे। ये दाम सप्लाई रूट, हथियार की गुणवत्ता, बेचने वालों और खरीदारों के बीच के संबंध के आधार पर बदलते रहते थे। पुलिस अब इस वित्तीय धारा के स्रोत और सही खरीददारों तक पहुंचने के लिए बैंकिंग ट्रांजैक्शन, मोबाइल नंबर और लेन-देन यानी संपर्कों की निष्कर्षण कर रही है ताकि पता चल सके कि खरीददार सिर्फ स्थानीय रंजिश वाले हैं या बड़े नेटवर्क के हिस्से।
कानून-संपर्क और आगे की कार्यवाही — मुकदमे, रिमांड और जिला प्रशासन की मंशा
गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं; कुछ पर पहले से दर्ज आपराधिक मामले भी थे। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों को कोर्ट में पेश कर अग्रिम कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और आवश्यकतानुसार जेल रिमांड या न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा। जिला प्रशासन ने इस घटना के बाद सख्त रुख अपनाने की बात कही है और यह स्पष्ट कर दिया कि हथियार तस्करी के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति लागू की जाएगी। साथ ही पुलिस ने यह भी कहा कि आगामी दिनों में पड़री थाना और आस-पास के इलाकों में चेकिंग बढ़ाई जाएगी और हथियारों के सप्लाई रूट पर नजर रखी जाएगी।
समाजिक प्रतिक्रिया — गांवों में चिंता, अभिभावकों में सन्नाटा
घटना की जानकारी मिलने के बाद मिर्जापुर के विभिन्न इलाकों में चिंता की लहर दौड़ गई। जिन परिवारों के नौजवानों का नाम जुड़ा है, वहां परिजन और अभिभावक शर्मिंदगी और घबराहट का सामना कर रहे हैं। पड़ोसी और ग्रामीण इस बात पर हैरान हैं कि पढ़ाई करने वाले छात्र किस तरह इतनी आसानी से आततायी व अवैध कारोबार में फंस गए। स्थानीय समाजसेवक और युवाओं के समक्ष इस समस्या की जड़ — बेरोज़गारी, सामाजिक दबाव और 'रौब दिखाने' की प्रवृत्ति — पर चर्चा कर रहे हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि परिवारों के साथ साथ युवाओं को सुधार व समुचित मार्गदर्शन देने की पहल भी की जाएगी।
प्रशासन की अगली रणनीतियाँ — रोकथाम, जागरूकता और कड़ी कार्रवाई
इंस्पेक्शन और प्रारंभिक बैठकों के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने यह संकेत दिया है कि भविष्य में इस तरह के मामलों को रोकने के लिए तीन मोर्चों पर कार्रवाई होगी — एक, गहन तफ्तीश व पकड़; दो, युवाओं के लिये पुनर्सम्बोधन और चेतना कार्यक्रम; और तीन, हथियार सप्लाई चैन की जड़ तक पहुंचना। साथ ही चुनाव-समय और जमीन विवादों जैसे संवेदनशील अवसरों पर खास निगरानी बढ़ाने, थानों के बीच समन्वय और सीमापार रूट्स पर साझा जांच के लिये संबंधित राज्यों से समन्वय पर भी जोर दिया गया है।

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