दिल्ली-NCR में दिवाली पर गूंजेंगे सिर्फ ‘ग्रीन पटाखे’: जानिए कौन-कौन से राज्यों में बनते हैं और कहां-कहां मिलेंगे CSIR-NEERI से लाइसेंसशुदा इको फ्रेंडली पटाखे!


दिल्ली-NCR में दिवाली पर सिर्फ ग्रीन पटाखों की अनुमति, जानिए देशभर में कहां बनते हैं और किन कंपनियों को NEERI ने दी है मंजूरी।

सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखों पर ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली-एनसीआर में इस बार दिवाली की रात धुएं और जहरीली हवा से नहीं, बल्कि ग्रीन पटाखों की रोशनी और सुरक्षित आवाज से जगमगाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक सीमित समय के लिए शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की अनुमति दी है। लेकिन इन शर्तों में एक अहम पेंच यह है कि दिल्ली-NCR में केवल उन्हीं पटाखों को चलाया जा सकेगा जो यहीं बनाए गए हों। बाहर से ग्रीन पटाखे मंगवाने पर सख्त रोक है।

दिल्ली में केवल एक लाइसेंसशुदा निर्माता

यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि राजधानी दिल्ली में केवल एक ही लाइसेंसशुदा ग्रीन पटाखा निर्माता मौजूद है, जिसका नाम है ‘गुड़िया फायरवर्क्स’। यह वही नाम है जिसे CSIR-NEERI (नेशनल एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) की तरफ से ग्रीन पटाखे बनाने की अधिकृत अनुमति मिली हुई है। इसका मतलब है कि दिल्ली में उपलब्ध ग्रीन पटाखों की सप्लाई की जिम्मेदारी लगभग पूरी तरह इसी एक निर्माता के कंधों पर है।

ग्रीन पटाखा क्या है और क्यों है जरूरी?

ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में बहुत ही कम प्रदूषण करते हैं। इनमें सल्फर, बेरियम, एल्युमिनियम पाउडर और नाइट्रेट जैसे खतरनाक रसायन नहीं होते। नतीजा ये होता है कि ये कम आवाज, कम धुआं और बिना तीखी गंध के विस्फोट करते हैं। इससे वायु और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित रहता है। खासकर दिल्ली-NCR जैसे इलाकों में जहां दिवाली के बाद AQI 500 के पार चला जाता है, वहां ग्रीन पटाखे पर्यावरण के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं।

NEERI की आधिकारिक लिस्ट में कितने निर्माताओं को मिली मंजूरी?

CSIR-NEERI की वेबसाइट पर सितंबर 2025 तक अपडेटेड लिस्ट में कुल 1403 पटाखा निर्माताओं को ग्रीन पटाखे बनाने की मंजूरी दी गई है। यह सभी निर्माता लाइसेंसशुदा हैं और हर एक को यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि वे किस श्रेणी के पटाखे बना सकते हैं – जैसे कि फूलझड़ी, अनार, चक्री आदि।

देश में सबसे बड़ा हब है शिवाकाशी, तमिलनाडु

तमिलनाडु के शिवाकाशी को देश का ‘पटाखा राजधानी’ कहा जाता है। यहां करीब 1000 से अधिक बड़ी और छोटी पटाखा फैक्ट्रियां मौजूद हैं। यहां बनने वाले पटाखों की हिस्सेदारी भारत के कुल उत्पादन में लगभग 90% है। जब 2019 में ग्रीन पटाखों का चलन शुरू हुआ, तो यहीं की कई यूनिट्स ने इसे अपनाया और अब यहां इको फ्रेंडली पटाखों की सबसे अधिक उत्पादन होता है।

किन-किन राज्यों में बनते हैं ग्रीन पटाखे?

NEERI की सूची के अनुसार, ग्रीन पटाखे केवल तमिलनाडु में ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में तैयार किए जा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक जैसे राज्य शामिल हैं। ये सभी राज्य अपने-अपने क्षेत्रीय स्तर पर स्थानीय निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के लिए लाइसेंस प्रदान कर चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के किन जिलों को मिला लाइसेंस?

उत्तर प्रदेश में कई जिलों के पटाखा निर्माताओं को NEERI ने ग्रीन पटाखा निर्माण की अनुमति दी है। इसमें हापुड़, मेरठ, मैनपुरी, इटावा, वाराणसी, गाजियाबाद, सहारनपुर, बागपत, अमरोहा, मुजफ्फरनगर और शामली जैसे जिले प्रमुख हैं। यह जिले पहले भी पारंपरिक पटाखों के हब माने जाते रहे हैं और अब इन्होंने ग्रीन पटाखों की ओर रुख किया है।

महाराष्ट्र में कहां-कहां बनते हैं ग्रीन पटाखे?

महाराष्ट्र के जलगांव, नागपुर, लातूर, अहमदनगर, सोलापुर और उस्मानाबाद जिलों के कई निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के निर्माण का लाइसेंस मिला हुआ है। महाराष्ट्र में पिछले कुछ वर्षों में प्रदूषण को लेकर उठाए गए कदमों का असर अब पटाखा उद्योग में भी दिखने लगा है।

राजस्थान और पंजाब में भी जारी हुए लाइसेंस

राजस्थान में भरतपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर और जयपुर के निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के लिए अधिकृत किया गया है। वहीं पंजाब में अमृतसर और होशियारपुर के पटाखा निर्माता इस सूची में शामिल हैं। यह राज्य पहले पारंपरिक पटाखों के लिए जाने जाते थे लेकिन अब नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

ग्रीन पटाखों की पहचान कैसे करें?

NEERI द्वारा ग्रीन पटाखों की पहचान के लिए एक विशेष तरीका अपनाया गया है। हर ग्रीन पटाखे के पैकेट पर CSIR-NEERI का लोगो और 'Eco-Friendly' लेबल होता है। साथ ही इन पर एक यूनिक QR कोड भी मौजूद होता है। इसे स्कैन करके ग्राहक यह जान सकते हैं कि यह किस कैटेगरी का ग्रीन पटाखा है, इसका लाइसेंस नंबर क्या है और इसे किस कंपनी ने बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश कितनी सख्ती से लागू होगा?

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 18 से 21 अक्टूबर के बीच ही पटाखे छोड़े जा सकेंगे और वो भी सिर्फ ग्रीन पटाखे। किसी भी अन्य प्रकार के पटाखों की बिक्री या उपयोग को अवैध माना जाएगा। इसके साथ ही दिल्ली-NCR में बाहर से कोई भी पटाखा, चाहे वो ग्रीन ही क्यों न हो, नहीं मंगवाया जा सकता। इसका पालन कराने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और स्थानीय प्रशासन की होगी।

ग्रीन पटाखों की कीमत और उपलब्धता

मार्केट में ग्रीन पटाखों की कीमत पारंपरिक पटाखों से थोड़ी अधिक हो सकती है क्योंकि इनकी तकनीक और निर्माण में सावधानी बरती जाती है। हालांकि, सरकार और संस्थाएं इसके लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं जिससे लोगों को इको फ्रेंडली विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

दिवाली पर साफ हवा की उम्मीद

हर साल दिवाली के बाद दिल्ली-NCR में AQI का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है। वायु प्रदूषण, धुंध, सांस संबंधी समस्याएं और अस्पतालों में बढ़ती भीड़ इसका प्रमाण होती है। ऐसे में ग्रीन पटाखों का उपयोग न केवल पर्यावरण बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी फायदेमंद है।

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