भिवानी में डेरा श्रीनाथ के महंत चंबानाथ की हत्या, गद्दी की चाहत में चेलों ने किया अपहरण और गला घोंटकर शव नहर में फेंका।
भिवानी में सनसनीखेज मर्डर: गद्दी के लालच में गुरु की गला घोंटकर हत्या
हरियाणा के भिवानी जिले के नांगल गांव में स्थित डेरा श्रीनाथ से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को दहला दिया है। डेरा श्रीनाथ के महंत योगी चंबानाथ की हत्या उनके ही दो शिष्यों ने गद्दी और जमीन की लालच में कर दी। पहले अपहरण किया गया, फिर गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया गया और शव को झज्जर के जेएनएल नहर में फेंक दिया गया। पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।
महंत का अपहरण कर की गई निर्मम हत्या, गांव में पसरा मातम
घटना की जानकारी तब सामने आई जब 16 अक्टूबर को झज्जर से गुजरने वाली जेएनएल नहर से एक शव बरामद हुआ, जिसकी पहचान योगी चंबानाथ के रूप में हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि महंत की हत्या गला दबाकर की गई थी। इससे पहले 14 अक्टूबर को गांव के सरपंच कुलदीप ने पुलिस में उनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर जांच शुरू की गई थी।
पुलिस जांच में खुला राज: चेलों ने ही रची थी साजिश
पुलिस ने संदेह के आधार पर रोहतक जिले के भराण गांव निवासी दीपक और मातू भैणी गांव निवासी वीरेंद्र को हिरासत में लिया। जब उनसे सख्ती से पूछताछ की गई, तो उन्होंने सनसनीखेज खुलासा किया कि उन्होंने ही महंत चंबानाथ की हत्या की थी। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे डेरा श्रीनाथ में केवल दो से तीन बार ही आए थे, लेकिन उन्होंने देखा कि महंत अकेले रहते हैं और कोई चेला नहीं है। इसी मौके का फायदा उठाने के लिए उन्होंने महंत से खुद को चेला बनाने का आग्रह किया, लेकिन जब महंत ने मना कर दिया तो गद्दी की लालच में उनकी हत्या कर दी।
डेरे की गद्दी और आठ एकड़ जमीन बना लालच का कारण
सरपंच कुलदीप ने बताया कि डेरा श्रीनाथ गांव की आठ एकड़ पंचायती जमीन पर स्थापित है और लगभग 18 साल पहले योगी चंबानाथ ने इस डेरा की स्थापना की थी। इतने वर्षों में उन्होंने अकेले ही डेरा संभाला और किसी को चेला नहीं बनाया। इसी अकेलेपन का फायदा उठाकर दो बाहरी युवकों ने गद्दी पर कब्जा करने की साजिश रची और निर्दयतापूर्वक हत्या को अंजाम दे डाला।
झज्जर नहर में मिला शव, पुलिस रिमांड पर भेजे गए आरोपी
महंत चंबानाथ का शव झज्जर की जेएनएल नहर से बरामद हुआ, जिसके बाद आरोपियों को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। इस दौरान पुलिस उनसे और भी गहराई से पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इस हत्या के पीछे कोई और बड़ा षड्यंत्र तो नहीं था या किसी और व्यक्ति की संलिप्तता तो नहीं है। डेरा और उससे जुड़ी जमीन को लेकर कई अन्य पहलुओं पर भी पुलिस की नजर है।
अंतिम संस्कार के बाद समाधि, गांव में शोक की लहर
महंत चंबानाथ की हत्या की खबर फैलते ही गांव में मातम छा गया। पोस्टमार्टम के बाद ग्रामीणों ने महंत को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें डेरा परिसर में ही समाधि दी गई। घटना से दुखी ग्रामीणों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं समाज के संत-संस्कृति और अध्यात्मिक परंपरा पर गहरा आघात करती हैं।
महंत की सादगी बनी जान की दुश्मन
स्थानीय लोगों का कहना है कि योगी चंबानाथ बेहद सरल स्वभाव के संत थे। उन्होंने कभी भी दिखावा नहीं किया और न ही किसी तरह की राजनीति में रुचि ली। वे केवल साधना और सेवा में लगे रहते थे। उन्होंने जीवनभर किसी को शिष्य नहीं बनाया और अकेले ही डेरा संचालित करते रहे। शायद यही उनकी सादगी उनकी हत्या का कारण बन गई।
पुलिस ने जांच को बनाया टास्क
भिवानी पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष टीम गठित की है, जो इस केस की तह तक जाने का प्रयास कर रही है। एसपी भिवानी ने बयान दिया है कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा और मामले की पूरी जांच निष्पक्षता से की जाएगी। आरोपियों के मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल्स और अन्य डिजिटल साक्ष्यों को खंगाला जा रहा है ताकि कोई भी कड़ी छूटने न पाए।
संत समाज में रोष, सरकार से न्याय की मांग
हरियाणा के संत समाज में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि महंत चंबानाथ की हत्या के दोषियों को कठोर सजा दी जाए और डेरे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, अन्य डेरों की भी सुरक्षा बढ़ाए जाने की आवश्यकता बताई जा रही है, जिससे संतों को भयमुक्त माहौल मिल सके।
अध्यात्म की आड़ में अपराध का घिनौना चेहरा
भिवानी में हुई इस हत्या ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि कैसे अध्यात्म और संत परंपराओं की आड़ में लालच, स्वार्थ और सत्ता की भूख अपराध को जन्म देती है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि संत परंपरा और आध्यात्मिक धरोहर पर भी हमला है। समाज और शासन दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं और धर्मस्थलों की गरिमा को सुरक्षित रखा जाए।


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