अयोध्या दीपोत्सव में दोनों डिप्टी सीएम नदारद, निमंत्रण ना मिलने पर विवाद! विपक्ष ने BJP पर उठाए सवाल, अखिलेश का तीखा वार
दीपोत्सव की भव्यता में दिखी सियासी दरार
अयोध्या नगरी जहां दीपोत्सव के भव्य आयोजन में सजी हुई थी, वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहराता तनाव इस आयोजन की चमक को कम करता नजर आया। उत्तर प्रदेश सरकार के दो डिप्टी सीएम – ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य इस बार कार्यक्रम से नदारद रहे, जिससे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या यह केवल प्रोटोकॉल चूक है या फिर बीजेपी के भीतर कोई गहरी रणनीति या नाराजगी छिपी हुई है।
ब्रजेश पाठक और केशव मौर्य को क्यों नहीं बुलाया गया?
सूत्रों के अनुसार, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को कार्यक्रम के लिए कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला, जिससे उनकी नाराजगी सामने आई है। वहीं, केशव प्रसाद मौर्य को निमंत्रण तो दिया गया, लेकिन सरकारी प्रचार सामग्री और विज्ञापनों में उनका नाम और तस्वीर तक गायब रही। यही कारण रहा कि उन्होंने भी अयोध्या दौरा रद्द कर दिया। माना जा रहा है कि यह स्थिति दोनों नेताओं को गहरी असहजता में डाल गई है, जिससे न सिर्फ पार्टी के भीतर सवाल खड़े हो गए हैं, बल्कि सरकार की सामूहिकता की छवि भी प्रभावित हुई है।
सरकारी विज्ञापन बना विवाद का कारण
अयोध्या दीपोत्सव के विज्ञापनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रमुखता से तस्वीरें और संदेश तो दिखे, लेकिन दोनों डिप्टी सीएम पूरी तरह गायब रहे। न तस्वीर, न नाम, न कोई उल्लेख। यही नहीं, अन्य कनिष्ठ मंत्रियों के नाम और तस्वीरें इन विज्ञापनों में प्रमुखता से दिखीं। पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी मंत्री जयवीर सिंह के पास है और प्रचार सामग्री से डिप्टी सीएम की गैर-मौजूदगी एक सोच-समझी रणनीति मानी जा रही है।
विपक्ष ने बीजेपी पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया कि क्या यूपी की भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम का पद अब औपचारिक रह गया है? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि "कहीं यहां भी 'हाता नहीं भाता' या 'प्रभुत्ववादी सोच' हावी तो नहीं हो गई?"
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इसे ‘राजनीतिक अपमान’ बताते हुए कहा कि बीजेपी में आंतरिक कलह अब सतह पर आ चुकी है। उन्होंने कहा कि दोनों डिप्टी सीएम के पास कोई ठोस पावर नहीं है, सिर्फ पद की औपचारिकता है।
सामाजिक समीकरण पर भी सवाल
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई ने भी इस मुद्दे को सामाजिक और जातिगत सम्मान से जोड़ा। उन्होंने कहा कि पिछड़े समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य और ब्राह्मण समाज के ब्रजेश पाठक को इस तरह नजरअंदाज करना बताता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच क्या है। उनका यह भी कहना है कि यह आयोजन सीएम योगी की खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समकक्ष दिखाने की कोशिश है।
दीपोत्सव की परंपरा और वर्तमान सियासी बिखराव
2017 से अयोध्या में हर वर्ष छोटी दीपावली के दिन दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री, दोनों डिप्टी सीएम, पर्यटन मंत्री समेत तमाम बड़े नेता शामिल होते रहे हैं। लेकिन 2025 के इस आयोजन ने पहली बार सत्ता के शीर्ष नेताओं के बीच की दरार को सार्वजनिक कर दिया है।
रामकथा पार्क में इस बार दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी थी – सबसे अधिक दीपों की सजावट और सामूहिक आरती। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम का प्रतीकात्मक राजतिलक किया, लेकिन उपमुख्यमंत्री की गैर-मौजूदगी ने इस चमकते आयोजन पर राजनीतिक परछाई डाल दी।
डिप्टी सीएम की ओर से क्या प्रतिक्रिया?
बृजेश पाठक ने अयोध्या आने के बजाय लखनऊ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बताया जा रहा है कि वह निमंत्रण न मिलने से आहत थे। वहीं, केशव मौर्य ने अयोध्या दौरा स्थगित कर दिया और कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। दोनों के कार्यालयों ने इस बात की पुष्टि की कि कार्यक्रम को लेकर उन्हें उचित प्रोटोकॉल नहीं मिला।
यह पहली बार नहीं है
यह पहला मौका नहीं है जब दोनों डिप्टी सीएम को उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। पहले भी कई अवसरों पर इन्हें मीडिया प्रचार, सरकारी अभियानों और निर्णयों से दूर रखा गया है। यह स्थिति बीजेपी की आंतरिक संरचना और मुख्यमंत्री के केंद्रीय नेतृत्व को लेकर उठते सवालों को बल देती है।
पर्यटन विभाग के मंत्री जयवीर सिंह पर भी सवाल
दीपोत्सव आयोजन की पूरी जिम्मेदारी पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के पास है। आयोजन की सारी योजना, मंच सज्जा, प्रचार सामग्री, मीडिया प्रचार और अतिथियों की सूची भी उन्हीं के विभाग द्वारा तय की गई थी। सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने जानबूझकर डिप्टी सीएम को नजरअंदाज किया या फिर उन्हें भी ऊपर से कोई निर्देश मिला था?
अयोध्या दीपोत्सव का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का आयोजन है, लेकिन इस बार यह आयोजन उत्तर प्रदेश की सत्ता में चल रही अंतर्कलह का प्रतीक बन गया है। डिप्टी सीएम की गैरहाजिरी ने यह साफ कर दिया है कि सत्ता के गलियारों में सब कुछ ठीक नहीं है। आने वाले दिनों में यदि दोनों नेता अपनी नाराजगी को खुलकर सामने लाते हैं, तो यह मामला बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है।


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