ग्वालियर के गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का श्रृंगार 1 अरब से अधिक के हीरे-मोती जड़े गहनों से होता है।
जन्माष्टमी 2025: ग्वालियर का गोपाल मंदिर और राधाकृष्ण का 1 अरब के आभूषणों से श्रृंगार
जन्माष्टमी का उत्सव और ग्वालियर का अद्भुत मंदिर
देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और दिव्य श्रृंगार के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त मंदिरों में पहुंचते हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित गोपाल मंदिर इस अवसर पर विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि जन्माष्टमी के दिन यहां भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी का श्रृंगार 100 करोड़ से भी अधिक कीमत के हीरे, मोती और रत्न जड़ित आभूषणों से किया जाता है।
गोपाल मंदिर का इतिहास
ग्वालियर के फूलबाग क्षेत्र में स्थित गोपाल मंदिर का निर्माण लगभग 100 वर्ष पहले हुआ था। इस मंदिर का निर्माण सिंधिया राजवंश के शासकों ने करवाया था। उनके शासनकाल में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को समर्पित अनेक बहुमूल्य रत्नों से जड़े गहने भेंट किए गए थे। यही गहने आज भी मंदिर के खजाने में सुरक्षित रखे गए हैं और हर वर्ष जन्माष्टमी के दिन विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच इनसे भगवान का श्रृंगार किया जाता है।
आभूषणों का खजाना
मंदिर प्रबंधन और ट्रस्ट से जुड़े लोगों के अनुसार, मंदिर में मौजूद आभूषणों का संग्रह अद्वितीय और अनमोल है। इसमें हीरे जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने से बनी सात लड़ी की माला, 249 मोतियों की दुर्लभ माला, सोने की बांसुरी, हीरे जड़े कंगन, चांदी का विशाल छत्र और अन्य बहुमूल्य आभूषण शामिल हैं। इन आभूषणों को देखना भक्तों के लिए दिव्य अनुभव होता है।
श्रृंगार की परंपरा
जन्माष्टमी के दिन नगर निगम और प्रशासन की देखरेख में मंदिर का खजाना खोला जाता है। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें लग जाती हैं। आभूषणों को पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर तक लाया जाता है और भगवान का श्रृंगार किया जाता है। इस श्रृंगार के दर्शन करने के लिए देशभर से भक्त ग्वालियर पहुंचते हैं।
सुरक्षा और प्रशासन की भूमिका
मंदिर में मौजूद बहुमूल्य आभूषणों की कीमत अरबों में होने के कारण जन्माष्टमी पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारी मंदिर परिसर में तैनात रहते हैं। सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में पूरा आयोजन संपन्न होता है।
भक्तों का उत्साह और भीड़
हर साल जन्माष्टमी पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गोपाल मंदिर पहुंचते हैं। भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा भव्य श्रृंगार देखने से जीवन के सारे दुःख दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
जन्माष्टमी केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व नहीं बल्कि भक्ति, श्रद्धा और संस्कृति का संगम है। ग्वालियर का गोपाल मंदिर इस दिन अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। यहां आयोजित श्रृंगार और दर्शन हर भक्त के लिए अविस्मरणीय अनुभव होता है।


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