मुंगेर में 25 किलो दाल चुराने पर बच्चों को हाथ बांधकर गांव में घुमाया गया, वीडियो वायरल, पुलिस ने जांच शुरू की।
चोरी में बच्चों का नाम आते ही गांव में मचा बवाल
बिहार के मुंगेर जिले के बरियारपुर थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे गांव और सोशल मीडिया को हिलाकर रख दिया है। यहां झोवाबहियार पंचायत में शनिवार को रविन्द्र मंडल नामक व्यक्ति के घर से करीब 25 किलो दाल चोरी हो गई। शुरू में यह घटना एक मामूली चोरी मानी जा रही थी, लेकिन जब गांववालों को पता चला कि इस चोरी में चार नाबालिग बच्चों का हाथ है, तो मामला पूरी तरह से उलट गया।
ग्रामीणों ने बच्चों को पकड़ लिया और किसी भी तरह की कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए उनकी ‘सजा’ खुद ही तय कर दी। प्लास्टिक की रस्सी से उनके हाथ बांध दिए गए और पूरे गांव में उन्हें घुमाया गया।
चोरी के बाद बच्चों ने दाल बेच दी, वीडियो ने मचाया कोहराम
जानकारी के अनुसार, चोरी के बाद चारों बच्चे दाल को लेकर पास की एक दुकान पर गए और उसे बेच दिया। हालांकि इस बात की भनक जल्द ही घरवालों को लग गई। जैसे ही रविन्द्र मंडल और उनके पड़ोसियों को चोरी की असली वजह और आरोपियों का पता चला, उन्होंने किसी तरह की पुलिस कार्रवाई से पहले अपनी 'पंचायती सजा' देने का फैसला कर लिया।
चारों बच्चों को रस्सी से बांधकर पूरे गांव में घुमाया गया। यह पूरा घटनाक्रम किसी ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इसके बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया और जिला पुलिस तक भी पहुंच गया।
वायरल वीडियो के बाद पुलिस हरकत में, जांच शुरू
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही बरियारपुर थाने की पुलिस हरकत में आ गई। थानाध्यक्ष एके आजाद ने बयान जारी करते हुए कहा कि चोरी के आरोप में कुछ बच्चों को पकड़कर गांव में घुमाया गया, जिसका वीडियो सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने वीडियो के आधार पर जांच शुरू कर दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर ग्रामीणों द्वारा बच्चों के साथ मारपीट या अमानवीय व्यवहार की पुष्टि होती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बुजुर्गों ने दिखाई संवेदनशीलता, बच्चों के हाथ खुलवाए
घटना के दौरान जब कुछ बुजुर्गों ने बच्चों को रस्सी से बंधे हुए और रोते हुए देखा, तो उन्होंने हस्तक्षेप किया और रस्सी खुलवाकर उन्हें राहत दी। बुजुर्गों का कहना था कि बच्चों की गलती थी, लेकिन उन्हें सुधारने का तरीका यह नहीं हो सकता। बच्चों को अपमानित करने की बजाय उनके भविष्य को देखते हुए सही दिशा देने की आवश्यकता है।
नशे की गिरफ्त में गांव के कई किशोर
गांव के कुछ लोगों ने यह भी बताया कि क्षेत्र में कई बच्चे नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं। ये बच्चे अक्सर सुलभ नशे की चीजों जैसे व्हाइटनर, टीनर, बॉटल सॉल्यूशन आदि का इस्तेमाल करते हैं और इसके लिए छोटी-मोटी चोरियों को अंजाम देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसी नशे की लत के चलते ये चारों बच्चे चोरी की घटना में शामिल हुए होंगे।
ग्रामीणों की दोहरी सोच, कुछ ने बताया ‘जरूरी सबक’ तो कुछ बोले ‘गलत’
गांव में इस घटना को लेकर मतभेद भी देखने को मिला। कुछ लोगों का मानना है कि बच्चों को इस तरह की सजा देना जरूरी था ताकि वे भविष्य में ऐसा दोबारा न करें। वहीं, कुछ लोगों ने इस ‘तालिबानी सजा’ को पूरी तरह से गलत बताया और कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस और बाल संरक्षण कानूनों के तहत कार्यवाही होनी चाहिए, न कि खुद कानून हाथ में लेना चाहिए।
अब पुलिस की निगाह में दो सवाल – कौन दोषी, कितनी बड़ी सजा?
फिलहाल पुलिस दो स्तरों पर जांच कर रही है – पहला, चोरी के आरोप की पुष्टि और दूसरा, बच्चों को गैरकानूनी रूप से सार्वजनिक रूप से अपमानित करने वालों की पहचान। बाल अधिकार आयोग से भी इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेने की संभावना जताई जा रही है।
यह घटना न केवल चोरी बल्कि ग्रामीण स्तर पर कानून और व्यवस्था की स्थिति, बच्चों की शिक्षा और नशा जैसे गंभीर मुद्दों की भी पोल खोलती है।


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