76वें उर्स कादरी इब्राहीमी राजशाही में उमड़ा जनसैलाब: औलादे गौसे आज़म की दरगाह पर चादरपोशी, सूफी संतों ने कहा- "मदद करो, मत पूछो कौन है!



ग्राम सरावा में 76वें उर्स कादरी इब्राहीमी राजशाही पर बड़ी भीड़, सूफी संतों ने दिया मानवता और सखावत का पैगाम।


ग्राम सरावा में 76वां उर्स कादरी इब्राहीमी राजशाही मनाया गया

उत्तर प्रदेश के ग्राम सरावा में 76वां Urs Kadri Ibrahimi Rajshahi 2025 पूरी अकीदत और श्रद्धा के साथ आयोजित किया गया। यह सालाना उर्स कुत्बे अलम औलादे गौसे आज़म हजरत हाफिज सैयद मोहम्मद इब्राहीम शाह साहब कादरी राजशाही की याद में मनाया जाता है।
हर साल की तरह इस वर्ष भी देशभर से श्रद्धालु और सूफी संतों का जनसैलाब दरगाह शरीफ पर उमड़ पड़ा।

तिलावते कलाम-ए-पाक से हुई महफिल की शुरुआत

कार्यक्रम का शुभारंभ हजरत हाफिज व क़ारी ग़ुलाम अब्दुल कादिर साहब ने तिलावते कलाम-ए-पाक से किया। दरगाह के सज्जादा नशीन पीरे तरीकत हजरत मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही इब्राहीमी अलीमी की सरपरस्ती में यह पूरा आयोजन संपन्न हुआ। महफिल की सदारत हजरत अल्लामा शम्स कादरी साहब (प्रिंसिपल मदरसा इस्लामिया अरबिया अंदर कोर्ट) ने की।

निज़ामत और तकरीरें रहीं आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम की निज़ामत हजरत हाफिज व क़ारी ताहिर साहब अशरफी ने की। मेहमाने खुसूसी के रूप में पधारे मुफ्ती रहमतुल्लाह साहब मिस्बाही ने कहा कि हजरत हाफिज इब्राहीम शाह ने अपनी पूरी जिंदगी मखलूक की खिदमत में गुजारी। उन्होंने इंसानियत, सखावत और बहादुरी का संदेश दिया।

मुफ्ती साहब ने कहा-
"जो भी जरूरतमंद आए, उसकी मदद करो, मत पूछो वो कौन है! अल्लाह सखावत पसंद करता है।"
उन्होंने हजरत इब्राहीम शाह को शहीद-ए-आज़म हुसैन की औलाद बताते हुए कहा कि हमें भी बहादुरी के रास्ते पर चलना चाहिए।

हजरत मुफ्ती इश्तियाक उल कादरी की तकरीर में दिया भाईचारे का पैगाम

मुफ्ती इश्तियाक उल कादरी साहब ने कहा कि हजरत इब्राहीम शाह ने हमेशा यही सिखाया कि जरूरतमंद की मदद में जात-पात या मजहब नहीं देखना चाहिए। आज भी दरगाह के सज्जादा नशीन मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही साहब उन्हीं के रास्ते पर चल रहे हैं और सभी धर्मों के लोगों की मदद कर रहे हैं।

सूफी संतों और शायरों ने बांधा समां

मुफ्ती रहीस साहब, क़ारी इसरार रज़ा राजशाही साहब और हाफिज मोहम्मद उमर ने भी अपने विचार रखे।
हाफिज मोहम्मद उमर ने कहा-
"अहले बैत की मोहब्बत में सब कुछ मिलता है और इज्जत-ज़िल्लत सब अल्लाह के हाथ में है।"

शायरे इस्लाम इंतखाब आलम संभली राजशाही, कामिल संभली, मौलाना जहीर साहब और अन्य शायरों ने अपनी शायरी से महफिल में चार चांद लगा दिए।



चादरपोशी, गुलपोशी और लंगर में सभी धर्मों के लोगों ने लिया हिस्सा

उर्स के दौरान दरगाह शरीफ पर चादरपोशी की गई। फूलों की गुलपोशी के बाद बड़े पैमाने पर लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें हिंदू-मुस्लिम सभी समुदायों के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

देश में अमन-चैन और तरक्की के लिए की गई दुआ

कार्यक्रम के अंत में हजरत मौलाना हमीदुल्लाह राजशाही इब्राहीमी अलीमी ने मुल्क की सलामती, अमन-चैन और तरक्की के लिए दुआ की। सैकड़ों लोगों ने आमीन कहा।



शामिल हुए प्रमुख लोग

इस सालाना उर्स में भाग लेने वालों में कई महत्वपूर्ण लोग शामिल रहे। इनमें प्रमुख नाम हैं:
हाजी दीन मोहम्मद, सूफी मोहम्मद अली, सूफी निशात उल्लाह, इनामुल्लाह खान, हाजी शमशाद, सूफी हयात उल्लाह (सज्जादानशीन सम्भल), सूफी अशफाक, सूफी अशरफ उल्लाह, सूफी शकील, जियाउल्लाह, समीर खान, शाकिर चम्पू, डॉक्टर शोएब, हाजी अब्दुल करीम, सूफी सलीम, असदुल्लाह खान (नारे वाले), बशारत खान, इमरान खान, सलाउद्दीन सेफी, सूफी नईम, शमशाद खान, मुस्तफा खान, मुसव्विर खान (टिमटिम), सोनू, फजरो, आरिफ उल्लाह, शुजा उल्लाह, तारीक, सरफराज खान, गुड्डू खान, डॉक्टर समीर खान, शब्बू खान, नासिर खान, सलमान खान, खुर्रम खान, इरफ़ान खान, शमशाद प्रधान, जिक्रया खान, अशरफ खान, हाजी अब्दुल गफ्फार, सूफी जाहिद, सूफी रियासत, सूफी इंतजार, हाफिज जुबेर, आस मोहम्मद, मास्टर महबूब अली, हाजी निजाम, सूफी इरफान, सूफी यूनुस, आसिफ, जलाल, सलाउद्दीन सैफी, सूफी महफूज, कारी नईम राजशाही, शाबाज खान, सूफी आसिफ साहफैज़ खान, शाहनवाज खान, जाने आलम खान, डॉक्टर बहारे, शरफ़राज खान, शानू, साहिब-ए-आलम, दानिश खान, चुम्मा खान, सूफी सगीर, सूफी असलम, सूफी जमाल, क़ारी आबिद, सूफी ताहिर, हाजी शमशाद, सूफी जमाल सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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