धर्म पूछकर शुभम को गोलियों से भून डाला, ऐशान्या का रुदन और कानपुर का गुस्सा उफान पर, पाकिस्तान से बदले की मांग तेज़।
‘हिंदू है तो बता…’ और फिर चली गोली! ऐशान्या ने कांपती आवाज़ में सुनाया खौफ का मंजर
कश्मीर के पहलगाम में उस दिन सब कुछ सामान्य था। शुभम अपनी पत्नी ऐशान्या के साथ मैगी खाने जा रहे थे। तभी एक आतंकी पीछे से आया, और सवाल किया- “हिंदू है या मुसलमान?” ऐशान्या ने बिना किसी डर के जवाब दिया- “हिंदू हैं”… फिर क्या, गोलियों की आवाज़ गूंजी और शुभम वहीं ढेर हो गए। इस खौफनाक दृश्य को याद कर ऐशान्या आज भी थर-थर कांप रही हैं।
आतंकियों ने कहा- ‘हमने जो किया है, सरकार को जाकर बता देना’, ऐशान्या बोलीं- ‘मुझे भी मार दो’
शुभम की मौत के बाद ऐशान्या ने आतंकियों से गिड़गिड़ाते हुए कहा कि उन्हें भी मार डालें, लेकिन आतंकियों ने मना कर दिया और कहा – “अपने सरकार को जाकर बता देना कि हमने क्या किया।” ये शब्द अब ऐशान्या के कानों में गूंजते हैं, और उनकी आंखों से लगातार आंसू बहते रहते हैं।
दो महीने पहले हुई थी शादी, हनीमून के लिए निकले थे कश्मीर… अब घर लौटे तिरंगे में लिपटे हुए
शुभम और ऐशान्या की शादी को बस दो महीने हुए थे। फरवरी में दोनों ने सात फेरे लिए थे और अप्रैल में हनीमून पर निकले थे। किसे पता था कि ये सफर आखिरी होगा? शुभम का पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा कानपुर पहुंचा, तो हर आंख नम हो गई।
‘मोदी जी बदला लीजिए!’ – शुभम के दोस्तों का फूटा गुस्सा, कहा- पाकिस्तान को सबक सिखाओ
शुभम के दोस्त प्रशांत और आशुतोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधा सवाल किया है कि कब तक आतंक इस तरह हमारे अपनों को छीनता रहेगा? प्रशांत ने कहा, “शुभम हीरा था… अब वक्त है कि मोदी जी जवाब दें।” कानपुर के लोग पाकिस्तान से युद्ध तक की मांग कर रहे हैं।
‘मेरे बेटे का कसूर क्या था?’ – शुभम के पिता की चीख, सीएम योगी के सामने रोते हुए पूछा सवाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुभम के परिजनों से मिलने पहुंचे। लेकिन पिता के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। हाथ जोड़कर सिर्फ एक सवाल – “मेरे बेटे का कसूर क्या था? उसका दोष क्या था?” सीएम ने ढांढस बंधाया, लेकिन आंखों का सैलाब ना रुका।
पूरा कानपुर उबल पड़ा, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गूंजे बाजार, दुकानें बंद, जुलूस जारी
शुभम की मौत से आक्रोशित कानपुरवासियों ने बाजार बंद रखे, जगह-जगह प्रदर्शन किए। ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे अब शहर के कोने-कोने में गूंज रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर सरकार को युद्ध छेड़ना पड़े, तो पीछे नहीं हटना चाहिए।
‘शुभम की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी’, लोगों की मांग- आतंकवाद का जड़ से सफाया करो
कानपुर की जनता अब सिर्फ इंसाफ नहीं, बल्कि कार्रवाई चाहती है। उनका मानना है कि इस बार सिर्फ बयान नहीं, सीधा जवाब चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध का बिगुल बज चुका है और शुभम की शहादत अब आंदोलन की चिंगारी बन चुकी है।
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