मथुरा: जनपद में 81 क्रय केन्द्रों पर ढाई महीने बाद भी गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य का एक प्रतिशत भी नहीं हो सकी है। इस दौरान क्रय केन्द्रों पर तैनात संचालक, सहयोगी और पल्लेदारों का स्टाफ खाली ही बैठा रहा। गेहूं खरीद केंद्रों पर विभिन्न एजेंसियों के कर्मचारियों के खाली बैठने से करीब 58 लाख रुपये का वेतन व्यर्थ जाएगा। वहीं पल्लेदारों को कुछ भी मेहनताना नसीब नहीं हो सकेगा।
जिले के 81 क्रय केन्द्रों पर 81 केन्द्र प्रभारी, 81 सहयोगी, एवं न्यूनतम चार-चार पल्लेदारों सहित कुल करीब 486 लोग तैनात थे। सभी केन्द्रों पर एक अप्रैल से आरंभ होकर 15 जून तक ढाई महीने में गेहूं की कुल करीब 93 हजार मैट्रिक टन गेहूं की खरीद किए जाने का लक्ष्य दिया था। लेकिन इस बार लक्ष्य की एक प्रतिशत भी गेहूं की खरीद नहीं हो सकी है। इस बार अब तक नौ क्रय केन्द्रों पर 19 किसानों से कुल मात्र 1038 कुंतल गेहूं ही खरीदा जा सका है। पीसीएफ के 64 क्रय केन्द्रों पर तैनात कुल 126 संचालक एवं सहयोगियों का करीब 12 हजार रुपये मासिक के अनुसार ढाई माह का वेतन 38.4 लाख रुपये बैठता है जबकि पीसीयू के 10 क्रय केन्द्रों पर तैनात 20 संचालक एवं सहयोगियों का करीब 12 हजार रुपये मासिक के अनुसार ढाई माह का वेतन छह लाख रुपये होता है। इसी प्रकार से खाद्य एवं विपणन विभाग विभाग के 6 क्रय केन्द्रों पर तैनात 12 संचालक एवं सहयोगियों का करीब 35 हजार रुपये मासिक के अनुसार ढाई माह का वेतन 10.5 लाख रुपयेएवं एफसीआई के एक क्रय केन्द्र पर तैनात संचालक एवं सहयोगी दो लोगों के करीब 60 हजार रुपये मासिक के अनुसार ढाई माह का वेतन तीन लाख रुपये वेतन के रूप में देने होंगे।
इस बार लक्ष्य की एक प्रतिशत भी गेहूं की खरीद नहीं हो सकी है। इसके चलते केन्द्रों पर संचालक और सहयोगी खाली बैठे रहे। उन्हें खाली बैठने का ही वेतन मिलेगा। वहीं खरीद न होने के कारण पल्लेदारों को कोई आय नहीं हो सकी है।
-संतोष यादव, डिप्टी आरएमओ
सभी 81 क्रय केन्द्रों पर करीब 325 पल्लेदार भी तैनात रहे। हालांकि खरीद न होने के कारण अगले महीने से उन्होंने अपने दूसरे कामकाज खोजने शुरु कर दिए थे। उन्हें पहले तो केन्द्रों पर खाली बैठना पड़ा और उन्हें खाली बैठने का शायद कोई मेहनताना भी नहीं मिलेगा। पल्लेदारों को छह रुपए प्रति कुंतल खरीद के अनुसार मेहनताना दिया जाता है। इस बार जब खरीद ही नहीं हुई तो उन्हें कोई मेहनताना ही नहीं मिल पाएगा।
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