चुनावी सियासत बदलते मौसम में हलचल



कृष्णा पंडित
हार जीत नई रणनीति दांवपेच उठापटक के साथ सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनावी माहौल बनाने में जुट गई हैं... जहॉ क्षेत्रीय, जातिगत और धर्म की विशात पर रोटियां सेकने को नेता और दल तैयार हैं वहीं दूसरी तरफ विकास रोजगार और तकनीकी स्तर पर देश का मजबूत होना किसी पार्टी का मुख्य एजेंडा नहीं है सभी पार्टियां सामाजिक भेदभाव लालच दोहरे नीति के साथ आम जनमानस को लुभाने के लिए रणनीति में जुटे हुए हैं अब देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी और मोदी का जादू कब तक बरकरार रहता है या टाय टाय फिश हो जाता है ! यह तो सत्य है कि पूरा विपक्ष एकजुट होकर भी मोदी का 1 परसेंट नुकसान नहीं कर पा रहा है !

कांग्रेस बूझे हुए दिए की तरह टिमटिमाती नजर आ रही है... ना चेहरा ना रणनीति ना ही कोई कवायद

विपक्ष की तरफ से २०२४ के लिए मोदी जी का सामना करने के लिए रणनीति बनाने को दिल्ली पँहुची, निराश हाताश लग रही हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें भाव नहीं दिया !

माहाराष्ट्र में पहले से एक उम्मीदवार तैयार बैठे हैं, शरद पवार शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद संजय राउत ने बयान देकर कहा कि माहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्भव ठाकरे, प्राइम मिनिस्टर मटेरियल हैं। कांग्रेस का नेहरू परिवार तो १९४६ के बाद से ही प्रधानमंत्री का पद अपनी बपौती समझता रहा है।

बड़ी उमंग के साथ नई चाहत भरी प्रफुल्लित मन से दिल्ली आगमन, फिर निराशा

इन सब  कारणों से जिस चाहत से वे दिल्ली आयीं वो पूरी नहीं हो पा रही है !
वे बार बार कहती हैं खेला होबे खेला होबे तब तब देश का हिन्दू ममता के खूनी चेहरे को याद करने लग जाता है
पिछले बंगाल चुनाव के समय और फिर परिणाम आने के बाद ममता ने सुहरावर्दी के अवतार के फूप में जिस प्रकार हिंदुओं की हत्या करवाई, हिन्दू महिलाओं का रेप करवाया, हिंदुओं की दुकानों को लुटवाया, और हिंदुओं को बड़ी संख्या में असम और दूसरी जगहों पर शरण लेने के लिए बाध्य करवाया, वह सब भारत के और भारत के बाहर रह रहे हिंदुओं को झकझोर रहा है, और झकझोरता रहेगा। 

भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं का जबरदस्त उत्पीड़न रहा फिर भी संगठन और सरकार उनकी ना के बराबर सहायता करते दिखे

ममता का खेला होबो का नारा लगवाना बंगाल के कलंकित वर्तमान का एक क्रूर इतिहास बनकर भविष्य में हिंदुओं को अपनी एकता सुरक्षा के लिए प्रेरित करता रहेगा, इसीलिए ममता जब जब खेला होबो कहती हैं, तब तब हिंदुओं में क्रोध की ज्वाला भड़कती है, कौन हिन्दू ऐसी राक्षसी प्रवृति की महिला को देश की बागडोर सौंपना चाहेगा ?

शरद पवार उद्भव ठाकरे जो माहाराष्ट्र में भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार खेल खेल रहे हैं, उन्हें तो पूरे देश में शरमसार होना पड़ रहा है। जबसे ये तीन टांगों वाली सरकार माहाराष्ट्र में बनी है, सिर्फ और सिर्फ वसूली घूसखोरी घोटाला की ही चर्चा हो रही है। और ये लोग विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के चेहरा बनना चाहते हैं। 

प्रधानमंत्री बनने का सपना तो कोई भी देख सकता है, केजरीवाल भी देख रहे हैं, परंतु सपना तो सपना ही होता है, सपना जभी यथार्थ नहीं हुआ है, और न हो सकता है। 

भारत के मतदाता बहुत ही परिपक्व हैं, उन्होंने देख लिया है, परख लिया है, समझ लिया है, २०१४ में मोदी, 
२०१९ में मोदी, २०२४ में भी मोदी ही
जो लोग जनता के मूड को समझते हैं, वे वेशक भी समझ चुके हैं, कि भारत के लोगों के सामने कोई विकल्प है ही नहीं, देश को किसी हिन्दु विरोधी, किसी घाघ, बेईमान, किसी राष्ट्रविरोधी , के हाथों में तो सुपुर्द नहीं किया जा सकता है ?

मोदी जी ने दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बहुत ऊंचाई पर लाकर खड़ा किया है इसमें कोई शक नहीं है ! 

वैश्विक सर्वेक्षणों में मोदी विश्व में प्रथम हैं, सोचिए कौन भारतीय मोदी जी को प्रधानमंत्री पद से इस परिस्थिति में हटाना चाहेगा ?

सच्चाई तो कभी कभी विपक्षी के मुंह से भी निकल ही जाता है, राहुल ने नहीं कहना चाहा होगा, किन्तु कह ही दिया कि मोदी जी से चोर बेईमान ही तो डरते हैं, मोदी जी से २०१९ के लोकसभा चुनाव के समय अपार जनसमूह के समक्ष इंडिया टी वी पर रजत शर्मा ने कहा कि आपसे कुछ लोग डरते हैं, तो मोदी जी ने कहा था कि जो वैसे हैं, उन्हें हमसे डरना ही चाहिए !

तो बिल्कुल यह तो साफ ही है कि एक मोदी ही हैं, जिनसे देश को लुटने वाले भ्रष्टाचारी सभी डरते हैं, आज पूरा देशद्रोही दलाल किस्म का विपक्ष इसी वजह से तो मोदी से खार खाए हुए है !

वहीं आगामी विधानसभा चुनाव यूपी जो केंद्र का प्रमुख दरवाजा है जहां से योगी जी की हुंकार और कार्यशैली लोगों को जबरदस्त पसंद आ रही है जहां आतंक और अपराध पनाह मांग रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार महंगाई को काबू पाने में असफल साबित हो रही है आम जनता महंगाई को लेकर सरकार को दिन-रात कोस रही है कहीं यह कोसना सरकार के लिए महंगी साबित न हो यह भी सरकार को गंभीरता से सोचना पड़ेगा पिछले सरकार में जब पेट्रोल और खाने-पीने के सामानों के दाम में वृद्धि होता था तो विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी सड़कों पर उतरने का कार्य करती थी और सरकार की कार्यशैली आम जनता के बीच रखती थी आज विपक्ष में बहुत कमजोर और लचर है जो सिर्फ सोशल मीडिया और ट्विटर पर ही अपनी आवाज उठा रहे हैं जमीनी स्तर पर कहीं कोई दिखाई नहीं देता बड़े-बड़े नेता सिर्फ ट्विटर पर ढोल बजाते नजर आते हैं जिसकी वजह से *आम जनता महंगाई की किल्लत से जूझ रही है कहीं ना कहीं वोट देने वाला तबका( मध्यम वर्गीय परिवार ) जो मोदी जी से जुड़ा है वह प्रभावित हो रहा है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो मोदी जी का साथ छोड़ देगा* जिससे सरकार के लिए बहुत दुखद और आने वाले दिनों में सपनों को चूर चूर करने जैसा होगा !!

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